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________________ ८ पुद्गल-पदार्थ शक्तिवाले दूसरे परमाणुके साथ बँधता है। अर्थात् जो अनेको रूक्ष परमाणु किसी एक स्निग्ध परमाणके साथ बन्धको प्राप्त होते हैं, उनमे बन्धानुपातके योग्य ही स्निग्धता अथवा रूक्षता होनी चाहिए। इस अनुपातके तारतम्यके कारण ही बननेवाले स्कन्धोमे अनेकरूपता आ जाती है। १०. स्थूल तथा सूक्ष्म पुद्गल ___ परमाणुओके सघातसे उत्पन्न हुए ये स्कन्ध जाति-भेदसे तो अनेको प्रकारके होते ही हैं, परन्तु सूक्ष्मता तथा स्थूलताकी अपेक्षा भी वे अनेको प्रकारके होते हैं। सूक्ष्म तथा स्थूल भेदोको जाननेसे पहले यहाँ सूक्ष्म तथा स्थूलका लक्षण कर देना चाहिए । साधारणत. स्थूल कहते है बडेको और सूक्ष्म कहते हैं छोटेको, परन्तु वास्तवमे इनका यह अर्थ करना ठीक नहीं है, क्योकि कदाचित् बड़ा पदार्थ सूक्ष्म हो सकता है और छोटा पदार्थ स्थूल। सो कैसे वही बताता हूँ। देखो, खशखाश (पोस्ता) का दाना तथा जलकी बूंद इन दोनोमे-से पहला अर्थात् खशखाशका दाना छोटा है और जलकी बूंद बडी। फिर भी खशखाशका दाना तो वस्त्रमे-से छनकर उस पार नहीं होता और जलकी बूंद वस्त्रमे-से छनकर उस पार हो जाती है। वायु तो शीशेमे-से पार नही होती परन्तु प्रकाश उसमे-से भी पार हो जाता है । अत. बडे-छोटेकी बात नहीं है बल्कि एक दूसरेमे-से पार होनेकी शक्तिको दृष्टिमे रखकर ही सूक्ष्मता तथा स्थूलताका लक्षण करें। जो पदार्थ किसी दूसरे पदार्थको न रोक सके और न ही स्वय किसीसे रुक सके, अथवा एक दूसरेमे समाकर रह सके, या एक दूसरेमे-से पार हो जाये उसे सूक्ष्म कहते है। तथा जो पदार्थ दूसरेको रोके अथवा दूसरेसे रुक जाये, एक दूसरेमे न समा सके न पार हो सके वह स्थूल कहलाता है।
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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