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________________ १८४ पदार्थ विज्ञान अतिरिक्त फल-फूलोमे जो चमक होती है वह अग्निका भाग है। इन सभी चीजोमे - छ न कुछ पोलाहट भी होती ही है। लड़कीमे मसाम होते हैं, उसमे कील ठोकी जा सकती है, और इन सभी पदार्थोंको दबाकर सिकोड़ा जा सकता है। जिसपरसे सिद्ध होता है कि इनमे पोलाहट अअश्य है। क्योकि यदि तनिक भी खाली स्थान न होता, वे विलकुल ठोस होते तो न उन्हे छेदा-भेदा जा सकता था और न सिकोडा जा सकता था। वह पोलाहट ही आकाश है। इस पोलाहटमे सर्वत्र वायु व्याप्त है। इस प्रकार वायु तथा आकाश भी इन सभी पदार्थोंमे पाये जाते है। अतः कहा जा सकता है कि वृक्ष या कोई भी वनस्पति इन पांचोके सयोगका फल है। फिर भी वृक्ष या इसके सारे अगोपाग क्योकि ठोस हैं अतः इनमे पृथ्वी तत्त्वका आधिक्य है और इसीलिए वृक्ष या इससे प्राप्त लकड़ी रुई कपडा आदिको पृथ्वीके अन्तर्गत गिनाया गया है। दूसरे प्रकारसे भी देखा जा सकता है। यदि लकड़ी या वृक्षमे आग लगा दें, तो क्या होता है ? उसमे-से जल भाप बनकर उड़ जाता है, और वायुमण्डलमे पडे जलके साथ जा मिलता है। वायु गैस या धुआं बनकर निकल जाती है और वायुमें जा मिलती है । अग्नि स्वयं अग्निरूप बनकर तेज तथा उष्ण हो जाती है और वायुमण्डलको उष्णतामे मिल जाती है। जलकर उसकी जो भस्म वनती है वह पृथ्वीमे मिल जाती है और जो कुछ भी उसमे पोलाहट थी वह आकाशमें मिल जाती है। इस प्रकार वृक्षमे रहनेवाले पांचो ही भूतोके अश अपने-अपने मूल पदार्थमे मिल जाते हैं, और वृक्षका नाग हुआ कहा जाता है । इस प्रकार कह सकते हैं कि पांचोंके सम्मेलसे वृक्ष उत्पन्न हुआ था, पांचोके सम्मेलसे अवस्थित था और पांचो तत्त्वों के विखर जानेपर वह नष्ट हो गया।
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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