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________________ ४ जीव पदार्थ सामान्य दुनियामे कुछ भी नही देखा है वह मृत्युसे क्यों डरता है, तलवार लेकर उसे मारने के लिए कोई उसपर झपटे तो रोता हुआ माताकी ओर क्यो दौडता है, भूख लगनेपर स्वतः ही माताके स्तनको मुखमे क्यो ले लेता है, हाथमे ही क्यो पकड नही रखता ? ये तथा अन्य भी इसी प्रकारकी अनेको बातें उसको किसने सिखायी ? इसके सिवा आपके पास क्या उत्तर है कि यह उसके पहले के संस्कार हैं ? भले ही व्यक्तिको यह याद न रहा हो कि वह पहले कहाँसे मरकर आया है परन्तु मृत्युके प्रतिका भय यह दर्शाता है कि पहले जो अनेक बार उसने मृत्यु सम्बन्धी महान् कष्ट उठाया उसका भयकारी भाव आज भी उसके अन्तःकरणपर अकित है | मनुष्य के साथ ही यह बात हो एसा नही है, चीटीसे लेकर हाथी तक चौरासी लाख योनिके सभी प्राणी इस सम्बन्धमे समान हैं अर्थात् सब उत्पन्न होते ही मृत्यु से डरते है । बस यही बात इसका प्रमाण है कि यह जीव पहले अनेको बार मर-मरकर जन्म ले चुका है और जन्म-जन्मकर मर चुका है । जन्मने व मरनेवाले उसके शरीर भले ही अब उसके साथ न हो परन्तु वह स्वयं वही है जो कि पहले मरा था । ८५ भैया । क्या तू नही जानता कि किसी व्यक्ति के साथ कोई दुर्घटना हो जानेके कारण वह अपनी स्मृति खो दिया करता है, और फिर वह अपने माता-पिता तथा घरको भी पहचान नही सकता । उसको सबकी वातोपर आश्चर्य होने लगता है, और स्वय भूला भूला सा विचित्र प्रकार से रहने लगता है । इसी प्रकार किसी अन्य दुर्घटनासे उसे वह भूली हुई स्मृति याद भी आ जाया करती है । तब वह समझ पाता है कि वास्तवमे आज तक वह भूला हुआ था । आजसे पहले वह अन्य सभी की बातें सुनकर हँसता था, परन्तु आज स्वयं अपनी भूलपर हँसता है । जब एक ही शरीर मे
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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