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________________ Annatural पन्चम अधिकार। कपिला, अयोध्या रत्नपुर हस्तिनापुर । मिथिला राजगृह मिथिला, सौरीपुर वाराणसी कुंडपुर ये क्रमसे चौबीस तीर्थकरोंकी जन्मभूमियां है। श्री वासुपूज्य मल्लिनाथ, नेमिनाथ पार्श्वनाथ और वर्द्धमान ये पांच तीर्थंकर कुमार अवस्थामें ही दीक्षित हुए थे, अर्थात् वाल ब्राह्मचारी थे अन्यान्य तीर्थंकर राज्य करके दीक्षित हुए थे। तीन तीर्थंकर --श्री ऋषभदेव वासुपूज्य और नेमिनाथ पद्मासनसे मोक्ष गये है वाकी तीर्थंकर खड्गासनसे। श्री ऋषभदेव चौदह दिनों तक योग निरोध कर, श्री वर्द्धमान स्वामी दो दिनों तक योग निरोधकर तथा अन्य वाइस तीर्थंकर एक-एक मास तक योग निरोध कर मोक्ष पधारे थे । ऋषभदेव कैलाशसे, श्री वासुपूज्य, चम्पापुरसे श्री नेमिनाथ गिरनार पर्वतले, श्री वर्द्धमान स्वामी पावापुरसे तथा बाकी वीस तीर्थंकर सम्मेद शिखरजीले मोक्ष पधारे थे। क्रमसे चौवोस तीर्थंकरोंके पिताओंके नाम ये हैं-श्री नाभिराज, जितामित्र, जितारि, संवर राय, मेघप्रभ, धरण स्वामी सुप्रतिष्ठ महासेन, सुप्रोत्र, ढ़रथ, विष्णुरायं, वसुपूज्य, कृतवर्मा, सिंहसेन मोनुराय विश्व सेन, सूर्य प्रभ सुदर्शन कुभराय सुमित्रनाथ विजय रथ समुद्र विजय अश्वसेन, और सिद्धार्थ तथा माताओंके-श्री मरुदेवी, विजयादेवी, सुसेना देवी, सिद्धार्था देवी, सुलक्ष्मणा देवी,रामादेवी, सुनन्दा देवी, विमला देवी, विजया देवी, श्यामा देवी, सुकीर्ति देवीं, (सर्वयशा देवी) सुव्रता देवी, ऐरा देवी रमा देवी, सुमित्रा देवी, ब्राह्मणी देवी, पद्मावती देवी, विजया देवी, शिवा देवी, वामा देवी, त्रिशला
SR No.009550
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year1939
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size3 MB
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