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________________ २८ . गौतम चरित्र। . धुल कर सरोवरके जलको पीला करने लगी और पुष्पोंकी सुगन्धसे वह सरोवर सुगन्धित हो गया। जब उनकी जल क्रीड़ा समाप्त हो गयी. तो वे बड़े गाजे बाजे और स्त्रियोंके मनोहर गीतके साथ अपने राजमहलको लौटे। संध्या हो चली। जिन कामी जनोंके हृदयको रमणियोंने अपना लिया था, मानों उन पर दया करके ही सूर्य अस्त होने लगा। समस्त आकाशमें लाली दौड़ गयी। चारों ओरसे पक्षियोंके कोलाहल सुनाई देने लगे। आकाशमें पूर्ण चन्द्रमा का उदय हुआ। कुमुदिनी प्रफुल्लित हुई और संभोग करने वाली स्त्रियां अत्यन्त प्रसन्न हो गयीं । राजा भी महलमें आकर पुनः अपनी रानीके साथ आसक्त हो गये। सत्य ही है, स्त्रियां स्वभावसे ही मोहक होती हैं। साथ ही यदि रूपवती हो तो फिर पूछना ही क्या ? ऐसेही सुखसे समय व्यतीत करते हुए कितने दिन व्यतीत हो गये, राजाको तनिक भी खबर नहीं थी। वस्तुतः सुखका एक मास एक दिवसकी तरह बीत जाता है और दुःखका एक दिवस मासकी तरह प्रतीत होता है। ____एक दिनकी बात है। रानी प्रसन्नचित्त होकर चामरी और रंगिका नामकी दो दासियों के साथ अपने महलके झरोखे पर खड़ी हुई बाहरी दृश्य देखरही थी। एक नाटक देखकर उसके ह. दयमें चंचलता उत्पन्न हो गयी। वह नाटक आनन्द वर्द्धक,मनोहर और रसपूर्ण था । उसमें अनेक पात्र अपना अभिनय संपन्न कर रहे थे। भेरी, मृदंग ताल, बीणा, वंशी, डमरू झांझ आदि
SR No.009550
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year1939
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size3 MB
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