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________________ ६६ गौतम चरित्र । भागमें जघन्य कृष्ण लेश्या है। छठी पृथ्वीके उद्ध्वमें नारकी जीवोंकी मध्यम कृष्ण लेश्या और निम्नभागमें परम कृष्णलेश्या है और सातवीं पृथ्वीके नारकीयोंकी उत्कृष्ट कृष्ण लेश्या है। इन नारकीयोंकी आयु इस प्रकार होती है___ प्रथम नरकमें एक सागरकी.दूसरे में तीन सागरकी, तीसरेमें सात सागरकी, चौथैमें दश सागरकी, पांचवेंमें संत्रह सागरकी छठवें में वाइस सागरकी और सातवें नरकमें तैतिस सागरकी उत्कृष्ट आयु है । पहलेमें दश हजार वर्षकी जघन्य आयु, दूसरे में एक सागर, तीसरेमें तीन सागर,चौथेमें सात सागर पांचवें में दश सागर छठवें में सत्रह सागर और सातवेंमें वाईस सागरकी जघन्य आयु होती है। उनके शरीरको ऊंचाई सातवें नरकमें पांच सौ धनुपकी होती है और क्रमसे अन्य नरकों में आधी होती गयी है। प्रथम नरकमें रहने वाले नारकियोंका अवधिज्ञान एक योजन तक रहता है, पर क्रमसे आधा घटता जाता है। अव इसके आगे देवोंका वर्णन करते हैं- भवनवासी, व्यन्तर, ज्योतिष्क और कल्पवासी चार प्रकारके देव होते है। भवनवालियोंके दश भेद, व्यन्तरोंके आउभेद, ज्योतिष्कोंके पांच भेद तथा कल्पवासियोंके वारह भेद होते हैं । कल्पातीत देवोंमें किसो प्रकारका भेद नहीं है। असुर कुमार, नागकुमार, सुपर्णकुमार, द्वीप कुमार, अग्निकुमार, स्तनित कुमार, उदधि कुमार, दिककुमार विद्युत्कुमार और वातकुमार ये भवनवासियों के भेद है। किन्नर, कि पुरुषमहोरग, गंधर्व, यक्ष, राक्षस भूत, पिशाच ये अष्ट व्यतरोंके भेद कहे जाते हैं। इनके अतिरिक्त
SR No.009550
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year1939
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size3 MB
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