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________________ २६ १. वस्तुपालविषयक ऐतिहासिक साहित्य आ महानुभावन चरित्र अने तेना सुकृत कार्यो निरूपित करता केटलाय ग्रन्थो आजे उपलब्ध थाय छे. तेमां घणाखरा संस्कृतमां अने बाकीना बीजा गूर्जर भाषामां रचाया छे. आ चरित्रग्रन्थो पैकी केटलाक तेमनी हयातीमां ज रचाया छे जे तेमना आश्रित कविवरो द्वारा तेमणे करेला सत्कार्योनी प्रशंसा करवा लखाया हता एम जणाय छे. ___ प्रख्यात कवि सोमेश्वरे 'कीर्तिकौमुदी' ग्रन्थ तेमना जीवन अने कवननुं स्तवन करवा रच्यो छे. आ सिवाय 'सुरथोत्सव' अने 'उल्लाघराघव'ना छेल्ला सर्गोमां पोतानी प्रशस्ति साथे वस्तपाळना जीवनने लगती ट्रंक हकीकत आपी छे. तेणे बंधावेला गिरनार अने आब उपरना मंदिरोनी प्रशस्ति रचनार आ ज कवि हतो. तेमां पण वस्तुपालना चरित्र ओ सत्कर्मो माटे ट्रंक नोंध करी छे. बीजा एक अरिसिंह नामक कविए वस्तुपाळना जीवन साथे तेणे करेलां सकत कार्योनं विवेचन करवा 'सकतसंकीर्तन' नामक ग्रन्थ रच्यो छे जेमांथी चावडा अने चौलुक्योनो पण केटलोक इतिहास मळी आवे छे. जयसिंहसूरिए 'हम्मीरमदमर्दन' नाटक अने 'वस्तुपालप्रशस्ति' काव्यो रच्यां छे. तेमां वस्तुपालनी युद्धकुशळता अने हम्मीर साथे थयेल युद्ध प्रसंगने नाटकना रूपमा योज्या छे. आ बधामां नवीन भात पाडतां तेमनां गुरु उदयप्रभसूरिविरचित 'धर्माभ्युदय' अने 'सुकृतकीर्तिकल्लोलिनी' काव्यो छे. एमांना 'धर्माभ्युदय' काव्यनुं विस्तृत विवेचन प्रस्तुत लेखमां करवान होवाथी तेनो परिचय आगळ उपर विस्तारथी आपवामां आव्यो छे ज. 'कीर्तिकल्लोलिनी' ग्रन्थ एक सर्वोत्कृष्ट काव्य छे. तेनी प्रासादिकता, आलंकारिकता अने पद्यरचना उत्कृष्ट प्रकारना जोवामां आवे छे. 'सुकृतसंकीर्तन'नी माफक तेनी शरुआत वनराजथी करवामां आवी छे. तेमां चावडा अने चौलुक्योनो क्रमबद्ध इतिहास आप्या पछी वस्तुपालवंशवर्णन, वस्तुपाळचरित्र अने तेनां धर्मकार्योनी ट्रॅक नोंध आलंकारिक भाषामां रजू करी छे. आ बधां काव्योनी रचना वस्तुपाळनी समकालीन छे एटले तेमनी ऐतिहासिकताना विषयमा शंकाने अवकाश नथी. कदाच प्रशंसात्मक वर्णनोमां अलंकारयुक्त हकीकतो मूकी होय ते स्वाभाविक छे. बालचंद्रसूरिए 'वसंतविलास' काव्य रच्युं छे जेमां वस्तुपाळनुं जीवनवृत्त अने तेना सत्कार्योविस्तृत वर्णन संस्कारी भाषामां आप्युं छे. वस्तुपाळना जीवन बाद तरत ज रचाएला ग्रन्थोमां आ मुख्य छे. कारण के ते वस्तुपाळना मरणबाद थोडांक ज वर्षोमां रचायो छे. आ सिवाय मेरुतुंगकृत 'प्रबंधचिंतामणि', जिनप्रभरचित 'तीर्थकल्प', राजशेखरकृत 'चतुर्विशतिप्रबंध'मां पण वस्तुपालना जीवनने स्पर्श करती केटलीक हकीकत नोंधाई छे. छेल्लामां छेल्लुं व्यवस्थित रीते रचायेलुं जिनहर्षकृत 'वस्तुपालचरित्र' छे जेमां केटलीक अन्य हकीकतो सचवाई छे. ते मोटे भागे 'कार्तिकौमुदी' अने 'चतुर्विंशतिप्रबंध'ना आधार उपर रचवामां आव्युं छे.
SR No.009540
Book TitleDharmabhyudaya Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanbalashreeji
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2010
Total Pages515
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size2 MB
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