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________________ राज्यकर्ता मात्र चौलुक्य वंशनुं ज वर्णन आपेलुं छे त्यारे आमां ए वर्णन अणहिलपुरना मूळ संस्थापक वनराज चावडाथी शरु करवामां आव्युं छे अने तेमां चावडा वंशनी पूरी नामावली आपवामां आवी छे. आ काव्यनी रचना कीर्तिकौमुदीना समय करतां सहेज थोडी पाछळथी थई हशे एम एना वर्णन उपरथी जणाय छे. (ई) बालचंद्रसूरिविरचित वसन्तविलास कीर्तिकौमुदी अने सुकृतसंकीर्तन उपरांत वस्तुपालना गुणोनुं गौरव गानारुं त्रीजुं काव्य बालचंद्रसूरिकृत 'वसंतविलास' नामनुं छे. ए काव्य, उपरना बंने काव्यो करतां जरा मोटुं छे अने एनी रचना वस्तुपालना मृत्यु पछी, परंतु तरत ज, थई छे. कविये खास करीने मंत्रीना पुत्र जयन्तसिंहनी परितुष्टि खातर आ काव्यनी रचना करी छे. आ काव्यमां पण वर्ण्यविषय लगभग उपरनां काव्यो जेवो ज छे. विशेष ए छे के, एमां वस्तुपालना मृत्युनी हकीकत पण आपवामां आवी छे. ए कारणथी एनी रचना वि. सं. १३०० नी लगभग थयेली मानी शकाय. (उ) उदयप्रभसरिकृत धर्माभ्यदय महाकाव्य वस्तुपालना धर्मगुरु आचार्य विजयसेनसूरिना पट्टधर आचार्य उदयप्रभसूरिये पुराणपद्धति उपर एक 'धर्माभ्युदय' नामनो ग्रंथ बनाव्यो छे. वस्तुपाले संघपति थईने, घणा भारे आडंबर साथे, शत्रुजय, गिरनार आदि तीर्थीनी जे यात्राओ करी हती तेनुं माहात्म्य बताववा अने समजाववा माटे ए ग्रंथ रचवामां आव्यो छे. वस्तुपालनी जेम पुराण काळमां कया कया पुरुषोए मोटा मोटा संघो काढी ए तीर्थोनी यात्राओ करी हती, तेमनी कथाओ एमां आपवामां आवेली छे. ग्रंथनो मोटो भाग पौराणिक कथाओथी भरेलो छे, पण छेवटना भागमां, सिद्धराजना मंत्री आशुके, कुमारपालना मंत्री वाग्भटे अने अंते वस्तुपाले जे यात्रा करी, ते संबंधी केटलीक ऐतिहासिक नोंधो पण एमां आपेली मळी आवे छे. (ऊ) जयसिंहसूरिकृत हमीरमदमर्दन नाटक वस्तुपाले गूजरातना राजतंत्रनो सर्वाधिकार हाथमां लीधा पछी, क्रमे क्रमे पोताना शौर्य अने बुद्धिचातुर्य द्वारा एक पछी एक राज्यना अंदरना अने बहारना शत्रुओ- कळ अने बळथी दमन करवू शरु कयें. ते जोई गुजरातना पडोशी राजाओ खूब खळभळी उठ्या अने तेमणे गुजरातमां पुनःस्थापन थता सुतंत्रने उथलावी पाडवाना इरादाथी आ देश पर आक्रमणो करवां मांड्यां. वि. सं. १२८५ना अरसमामां, दक्षिणना देवगिरिनो यादव राजा सिंहण, मालवानो परमार राजा देवपाल अने दिल्लीनो तुरुष्क सेनापति अमीरे शीकार-एम दक्षिण, पूर्व अने उत्तर त्रणे दिशाओमांथी एकी साथे त्रण बळवान् शत्रुओए गुजरात उपर चढाई लई आववानो लाग शोध्यो. ए भयंकर कटोकटीना वखते वस्तुपाले पोतानी तीक्ष्ण चाणक्यनीतिनो प्रयोग करी, शत्रुओने छिन्नभिन्न करी नांख्या अने देशने आबाद रीते बचावी लीधो. दिल्लीना बादशाही सैन्यने आबूनी पासे सखत हार आपी पार्छ हांकी काढ्यु, अने ए रीते ए तुरुष्क अमीर, जेने संस्कृतमा 'हमीर'
SR No.009540
Book TitleDharmabhyudaya Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanbalashreeji
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2010
Total Pages515
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size2 MB
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