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________________ ७२ विश्वलोचनकोश: जपञ्चमम् । ऋषभध्वजशब्दोऽसौ शङ्करेप्यर्हदन्तरे । अगस्तौ च हरीतक्यां लङ्घने मुनिभेषजम् ॥ ३५ ॥ इति विश्वलोचने जान्तवर्गः ॥ अथ झान्तवर्गः । झैकम् । झकारस्त्वारवायौ स्यान्नष्टेऽपि कचिदिप्यते । झद्वितीयम् । झञ्झा ध्वनिविशेषे स्याज्झञ्झाणुजलवर्षणे ॥ १ ॥ इति विश्वलोचने झान्तवर्गः । अथ जान्तवर्गः । कम् ञकारस्तु कचित्ख्यातो गायने घर्घरध्वनौ । ज्ञः पण्डिते बुधे वेधस्यज्ञो मूढे जडे त्रिषु ॥ १ ॥ [ ञान्तवर्गे जपश्चम । झद्वितीय | ऋषभध्वज - महादेव, प्रथम जिनेन्द्र ! झञ्झा - ध्वनिविशेष, अल्प जलकी ( पुं० ) वर्षा, (स्त्री० ) ॥ १ ॥ मुनिभेषज - हथिया वृक्ष, हरड, लं- इस प्रकार विश्वलोचनकी भाषा टीका में झान्तवर्ग समाप्त हुवा ॥ घन, ( न० ) ॥ ३५ ॥ इस प्रकार विश्वलोचनकी भाषाटीका में जान्तवर्ग समाप्त हुवा | अथ झान्तवर्गः । झैक | झ - तीव्रवायु, नष्ट, ( पुं० ) अथ ञान्तवर्गम् । जैक | ञ -गाना, घर्घर ध्वनि, (पुं०) ज्ञ - पण्डित, बुध ग्रह, ब्रह्मा, (पुं० ) द्वितीय । अज्ञ - मूढ, जड, ( त्रि० ) ॥ १ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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