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________________ जतृतीयम् 1 ] भाषाटीकासमेतः । अङ्गजं रुधिरेऽथ स्यादण्डजः पक्षिमीनयोः । कृकलासे भुजङ्गे च कस्तूर्यामण्डजाऽपि च ॥ १७ ॥ अम्बुजो निचुले पुंसि क्लीबं तु सरसीरुहे । कम्बोजो देशमातङ्गशंखभेदेषु देशितः ॥ १८॥ करजस्तु करओ स्यादपि व्याघ्रनखे नखे । काम्बोजः सोमवल्के स्याच्छङ्खपुन्नागवाजिषु ॥ १९ ॥ माषपर्णीहिङ्गुपर्योः काम्बोजी तद्भवे त्रिषु । कारुजः शिल्पिनां चित्रे स्वयञ्जाततिलेऽपि च ॥ २० ॥ वल्मीके गैरिके फेने कलभे नागकेशरे । कुटजः शाखिनाम्भेदे स्याद्रोणे कुम्भसम्भवे ॥ २१ ॥ गिरिजा शैलतनयामातुलिङ्गचोरुदाहृता । गिरिजं त्वभ्रके लौहे शिलाजतुसुगन्धयोः ॥ २२ ॥ रुधिर, ( न० ) अंडज-पक्षी, मच्छी, गिरगट, सर्प, ( पुं० ) अंडजा - कस्तूरी, (स्त्री० ) ॥ अंबुज - बेतसवृक्ष, (पुं० ) ( न० ) कंबोज - देशभेद, हस्तीभेद, शंखभेद, (पुं० ) ॥ १८ ॥ करज- करंजुवा वृक्ष, बघेराका नख, नख, (पुं० ) कांबोज - कायफल, शंख, चंपा, अश्व, १७ ॥ कमल (पुं० ) ॥ १९ ॥ कांबोजी वनमाष या मशवन, हींग ६९ पत्री, या वंशपत्री (स्त्री० ) इनसे उत्पन्न होनेवाला ( त्रि० ) कारुज-शिल्पियोंका चित्र, स्वयं उत्पन्नहुवा तिल ॥ २० ॥ बांबी, गेरू, झाग, हाथीका बच्चा, नागकेसर, (पुं० ) कुटज - कूडा-वृक्ष, बनकाक, अगस्त्यमुनि, (पुं० ) ॥ २१ ॥ गिरिजा - पार्वती, बनबीजपूर या बि जोरनींबू, (स्त्री० ) गिरिज - भोडल, लोहा, शिलाजीत, गन्धक, ( न० ) ॥ २२ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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