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________________ ३८६ विश्वलोचनकोशः- [ सान्तवर्गेप्रसूर्मातरि कन्दल्यामश्वायां पुंसि वीरुधि । वसुर्ना देवभेदे च योके वह्नौ युधे त्रिषु ॥ वसु वृद्ध्यौषधे रत्नेऽपि श्याम हट्टके धने ॥ ६ ॥ वाच्यवन्मधुरेऽपि स्याद्भाः प्रभावे रुचि स्त्रियाम् । भासस्तु भासि गृध्रे च गोष्ठकुक्कुटकेऽपि च ॥ ७ ॥ मांसं स्यादामिषे मांसी ककोलीजटयोः स्त्रियाम् । माः सुधीदीधितौ मासे चन्द्रे चन्द्रात्परोऽपि सः ॥ ८ ॥ मिसिः स्त्री मधुरीमांस्योः शतपुष्पाजमोदयोः । प्रसस्तु मुहिमूहे स्यान्मूसो मास्यामपि स्मृतः ॥ ९ ॥ रसः खादेऽपि तिक्तादौ शृङ्गारादौ द्रवे विषे । पारदे धातुवीर्याम्बुरागे गन्धरसे तनौ ॥ १० ॥ रसो घृतादावाहारपरिणामोद्भवेऽपि च । रसा जिह्वानुवापाठाशल्लकीकङ्गुषु स्त्रियाम् ॥ ११ ॥ प्रसू-माता, केला या कमलगट्टा, अ- मासू-पंडित, किरण, मास, चंद्रमा, श्वा ( घोड़ी ) ( स्त्री०) । चंद्रमासे परेका लोक ( पुं०)॥८॥ प्रसू-बेल (पुं०) | मिसि-सोआ, जटामांसी, सौंफ, अवसु-देवभेद, जोता, अग्नि, युद्ध जमोद ( स्त्री० ) (त्रि.) प्रस-......(पुं० ) वसु-वृद्धि औषधि, रत्न, इयामरंग, मूस-जटामांसी (पुं०)॥ ९ ॥ हाट, धन ( न० ) ॥ ६ ॥ रस-स्वाद, तिक्त आदि रस, शृंगार वसु-मधुर ( त्रि.) आदि रस, द्रव, विष, पारा, धातु, वीर्य, जल, राग (अनुराग), बोल, भास्-प्रभाव, प्रभा ( स्त्री० ) शरीर ॥ १० ॥ धृत-आदि, भोज. भास-प्रभा, गृध्रपक्षी, गौवोंके ठानका। नका परिपाकद्रव, (पुं० ) मुगी (पुं० ) ॥ ७ ॥ रसा-जिह्वा, खुवा, सोना-पाठा, सामांस-गांस ( न०) ल-वृक्ष, मालकांगनी ( स्त्री०) मांसी-कंकोल, जटामांसी (स्त्री०), ॥११॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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