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________________ ३४५ लतृतीयम् ।] भाषाटीकासमेतः। चपलः पारदे मीने शिलाभेदेऽपि चोरके। चपला कमला विद्युत्पुंश्चलीपिप्पलीष्वपि ।। ९२ ॥ चूडाला चक्रलायां स्याद्वाच्यवचूडयान्विते । छगली छागयोषायां छगली वृद्धदारके ॥ ९३ ॥ छगलस्तु मतश्छागे छगलं नीलवाससि । जगलो मेदके मद्ये कैतवे मदनद्रुमे ॥ ९४ ॥ जङ्गलस्त्रिषु निर्वारिदेशेऽस्त्री जङ्गलं पले । जटिलस्तु जटायुक्ते जटिला मांसिकौषधौ ।। ९५ ॥ जम्भलः पुंसि जम्बीरे जम्भलो देवतान्तरे । जम्बूलो जम्बुविटपे जम्बूलः क्रकचच्छदे ॥ ९६ ॥ जम्बालः शैवले पङ्के जाङ्गलस्तु कपिञ्जले । वाच्यवज्जङ्गलोद्भुते शूकशिम्ब्यां तु जागली ॥ ९७ ॥ चपल-पारा, मच्छ, शिलाभेद, चोर, जंगल-मांस (पुं० न०) (पुं०) | जटिल-जटावाला, (त्रि.) चपला-लक्ष्मी, बिजली, पुंश्चली जटिला-जटामांसी-औषधि (स्त्री. ) स्त्री, पीपल, ( स्त्री.) ॥ ९२ ॥ चूडाला-निर्षिषी-धास, ( स्त्री० ).. ' जम्भल-जंबीरी-नीबू, देवताभेद चोटीवाला (नि.) छगली-बकरी, भिदारा-औषधि जंबूल-जामन-वृक्ष, शाक-वृक्ष (स्त्री.)॥ ९३ ॥ । (पुं०)॥ ९६ ॥ छगल-बकरा ( पुं० ) छगल-नीला वस्त्र (न. ) जम्बाल-सिवाल, कीच, (पुं०) जगल-मेदक (जगल ), मदिरा, जांगल-कपिंजल-पक्षी, (पुं० ) कपट, मौलसिरी या मैनफल-वृक्ष जंगलमें होनेवाला ( त्रि.) (पुं०)॥९४ ॥ जांगली-कौंचकी फली (स्त्री० ) जंगल-जलरहितदेश ( त्रि०) ॥९७ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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