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________________ विश्वलोचनकोशः- [ कान्तवर्गेपार्श्वद्वारि सपक्षे च पक्षे पार्श्वे च पक्षकः। पाटकस्तु महाकिष्कौ वाद्येऽपि कटकान्तरे ॥ ११० ॥ अक्षादिचालने मूलद्रव्यापचयकूलयोः ।। पातुकः पतयालौ स्यात्प्रपाते जलहस्तिनि ॥ १११ ॥ पालंकः शाकभेदेऽपि शल्लकीवाजिपक्षिणि । पावकोऽग्नौ सदाचारे भल्लातकवितङ्कयोः ॥ ११२ ॥ चित्रकेऽप्यग्निमन्थेऽपि त्रिषु पाचनकारिणि । पिण्याकः शिलके हिङ्गौ तिलकलेकेऽपि कुङ्कुमे ॥ ११३ ॥ पिनाको हरकोदण्डे शूलेऽस्त्री पांसुवर्षणे । पिष्टको यवधान्यादिचमसे चक्षुषो रुजि ॥ ११४ ॥ पुत्रकः शरभे पुत्रे धूर्ते वृक्षनगान्तरे । पुत्रिका पुत्तलीपुत्र्योस्तथा यावकतूलिके ॥ ११५ ॥ पक्षक-पसवाड़ाका दरवाजा,पक्षवाला, पिण्याक-गंधद्रव्यविशेष (शिलारस), पक्ष, पसवाड़ा, (पुं० ) हींग, तिलोंकी खली, केसर, पाटक-हस्तप्रमाण, बाजा, कंकणभेद (पुं० ) ॥ ११३ ॥ ॥ ११० ॥ पाशा आदिका डालना, पिनाक-महादेवका धनुष, त्रिशूल, मूलद्रव्यका खर्च,नदी के किनारे (पुं० (पुं० न०) धूलिउडानेवाला (त्रि.) पातुक-पड़नेकेस्वभाववाला, पर्वतमें। गिरनेका स्थान, जलहस्ती, (पुं०) पिष्टक-यवधान्यआदिका चमस (अ ___ग्निमें होमनेका द्रव्य ), नेत्ररोग, ॥ १११ ॥ पालंक-पालक नामका शाक, सेह- (पु० ) ॥ ११४ ॥ प्राणी, वाज पक्षी, (पुं० ) पुत्रक-रोझ-पशु, पुत्र, धूर्त , वृ. पावक-अग्नि, सदाचार, भिलावा, क्षविशेष, पर्वतविशेष, (पुं०) वितंक वृक्ष, ॥ ११२॥ चीता पुत्रिका-पूतली-काष्ठआदिकी, पुत्री, औषधि, अरडूं या अगेथु-वृक्ष, जौकी तुली (नाली), (स्त्री.) (पुं० ) पाचक औषधि (त्रि.) ॥११५ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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