SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 247
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बैकम् ।] भाषाटीकासमेतः। २३३ अथ फान्तवर्गः। फैकम् । फु मन्ने फे रुते सङ्खये स्फा वृद्धौ फेरवे पुमान् । फः स्याज्झञ्झानिले पुंसि स्फूः स्फुटे फुल्लभाषयोः ॥ १ ॥ फद्वितीयम् । गुम्फो बाहोरलंकारे गिरातन्तोश्च गुम्फने । रफेो रवणे पुंस्येव कुत्सिते त्वभिधेयवत् ॥ २ ॥ शर्फ खुरे गवादीनां तरूणां चरणेऽपि च । शिफा जटायां नद्यां च मांसिकायां च मातरि ॥ ३॥ इति विश्वलोचने फान्तवर्गः ॥ - ----- - अथ वान्तवर्गः। वैकम् । वं प्रचेतसि पुंसि स्यादुपमाने तदव्ययम् ॥ १ ॥ अथ फान्तवर्ग। रेफ-र-वर्ण, (पुं०) कुत्सित, (त्रि.) फैक। ॥ २ ॥ शफ-गौआदिकोंका खुर, वृक्षोंकी जड़, फ-तंत्र (उच्चारण करके फूकदेना), (न०) शब्द, युद्ध, (पुं०) शिफा-वृक्षकी जड़, नदी, जटामांसी, स्फा-वृद्धि, ( स्त्री०) गीदड़, (पुं०) माता, ( स्त्री. ) ॥ ३ ॥ फ-वृष्टिसहित वायु, (पुं० ) इस प्रकार विश्वलोचनकी भाषाटीकामें स्फू-स्फुट (प्रक्रट), फूलाहुवा, फान्तवर्ग समाप्तहुवा ॥ (पुं०)॥१॥ अथ वान्तवर्ग। फद्वितीय। वैक। गुम्फ-भुजाओंका आभूषण, वाणी व-वरुण, (पुं० ) उपमान (अव्यय) और तंतुओंका गुम्फन (गूंथना),। ॥१॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy