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________________ २२६ विश्वलोचनकोशः [नान्तवर्गेपिञ्जन्यां कटुकायां च सम्मता शकुलादनी। शालङ्कायनशब्दः स्यादृषिभेदेऽपि नन्दिनि ।। २४६ ॥ शिवकीर्तनशब्दोऽयं भृङ्गरीटेऽपि माधवे। स्यादर्जुनेऽपि पीयूषधामनि श्वेतवाहनः ॥ २४७ ॥ श्वेतधामा सुधाधाम्नि घनसाराब्धिफेनयोः । सिन्धुरे धान्यभेदे च वर्तते षष्टिहायनः ॥ २४८ ॥ संप्रयोगी कलाकेलौ कामुके सुप्रयोगिनि । गोशीर्षे दैवततरौ हरिचन्दनमस्त्रियाम् ॥ २४९ ॥ ज्योत्स्नायां कुङ्कुमे पद्मपारगे हरिचन्दनम् । पुमानहस्करे मेघवाहने करिवाहनः ॥ २५० ।। नषष्ठम् । अन्तावसायी श्वपचे नापिते च मुनर्भिदि । कलानुनादी रोलम्बे कलविक्के कपिञ्जले ॥ २५१ ।। शालंकायन-ऋषिभेद, नन्दी-गण, कामी, अच्छाप्रयोगकरनेवाला, (पुं० ) ॥ २४६ ॥ (पुं० ) शिवकीर्तन-शिवका एक गण, वि- हरिचंदन-गोरोचन, देववृक्ष, (पुं० ष्णुभगवान्, (पुं०) न०) ॥ २४९ ॥ चाँदकी किरण, श्वेतवाहन-अर्जुन, चंद्रमा, (पुं०)। केसर, कमलकेसर, (न.) ॥ २४७ ॥ करिवाहन-सूर्य, इंद्र, (पुं० ) ॥ २५०॥ श्वेतधामन्-चंद्रमा, कपूर, समुद्र नषष्ठ । __ झाग, (पुं०) | अन्तावसायिन्-चंडाल, नाई, मु. पष्टिहायन-हस्ती, धान्यभेद, ( सां- निभेद, (पुं० ) ठीचावल ) (पुं०) ॥ २४८ ॥ कलानुनादिन-भौरा, चिड़ा, कपि. संप्रयोगिन्-कलाकेली (कलाक्रीडा), जल-पक्षी, (पुं० ) ॥ २५१ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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