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________________ १७४ विश्वलोचनकोशः [ दान्तवर्गेअभिष्यन्दो विवृद्धौ स्यादास्तावे लोचनामये । अभिमस्तु पुंस्येव रणमन्थानदण्डयोः ॥ ४१ ॥ अष्टापदं शारिफले क्लीबमस्त्री तु काञ्चने ।। शरभे मर्कटे पुंसि चन्द्रमयां स्त्रियामपि ॥ ४२ ॥ एकपदं स्यात्तत्काले क्लीवमेकपदी पथि । कटुकन्दः पुमान् शृङ्गवेरे शिग्रुरसोनयोः ॥ ४३ ॥ कुरुविन्दस्तु मुस्तायां कुल्माषत्रीहिभेदयोः ।। कुरुविन्दं तु मुकुरे पद्मरागे च हिङ्गुले ॥ ४४ ॥ क्लीबं कोकनदं रक्तकैरवे रक्तपङ्कजे । चक्रबुन्दस्तु भाकूटे पृष्ठशृङ्गे मृषान्तरे ॥ ४५ ॥ चतुष्पदो गवाश्वादिपशौ स्त्रीकरणान्तरे ।। पुमाञ्जनपदो देशे तथा जनपदो जने ॥ ४६ ॥ अभिष्यन्द-अतिवृद्धि, चारोंतरफसे- कटुकन्द- अदरक, सहजना, हस्सन, झिरना, नेत्ररोग (पुं०) (पुं० ) ॥ ४३ ॥ अभिमर्द-रण, मथनेका डाँडा (पुं०), धान्य, ब्रीहिभेद (पुं० ) ॥ ४१ ॥ कुरुबिन्द-शीशा, पुक्खराज, हींगलू, अष्टापद-चौपड़, (न०) सुवर्ण (न०)॥ ४४ ॥ (पुं० न०) शरभ ( मृगभेद ), कोकनद-लाल कमोदनी, लालकवन्दर, (पु.) ___ मल (न.) अष्टापदी-चंद्रमल्ली (मल्लिकाभेद ) चक्रबुन्द-तेजसमूह, पृष्ठङ्ग, अस. (स्त्री०) ॥ ४२ ॥ ___ त्यभेद (पुं० ) ॥ ४५ ॥ चतुष्पद-गौ अश्व आदि पशु, स्त्रिएकपद-तत्काल, (न) । योंका करणभेद, (पु.) एकपदी- मार्ग (स्त्री०) | जनपद-देश, जन, (पुं०) ॥४६॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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