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________________ ठतृतीयम् । ] भाषाटीकासमेतः । निष्ठा निर्वहनिष्पत्तिनाशान्तोत्कर्षयाचने । क्लेशेऽथ पाठाम्बष्ठायां पाठस्तु पठने पुमान् ॥ ६ ॥ पृष्ठं शरीरावयवान्तरेऽपि चरमेऽपि च । प्रष्ठोऽग्रगामिनि श्रेष्ठे प्रष्ठा चाण्डालिकौषधौ ॥ ७ ॥ वण्ठः स्यादकृतोद्वाहे कुन्तधारकखर्वयोः।। शठस्तु पुंसि धतूरे धूतमध्यस्थयोस्त्रिषु ॥ ८ ॥ शोठोऽलसे च मूर्खे च श्रेष्ठो वरकुबेरयोः। षष्ठी तु षण्णां पूरण्यां त्रिषु स्त्री हरयोषिति ॥९॥ हठस्तु स्याङ्कलात्कारे वारिपयो तु पुस्ययम् । ठतृतीयम् । अपष्टुः समये वामेऽम्बष्ठो वैश्यासुते द्विजात् ॥ १० ॥ निष्ठा-नाटकसंधि, सिद्धि, नाश, | शठ-धतूरा, धूर्त, मध्यस्थ, (त्रि०) अन्त, बडप्पन, याचना, क्लेश(कष्ट)। ॥८॥ (स्त्री०) शोठ-आलसी, मूर्ख, (पुं०) पाठा-पहाडमूल, (स्त्री०) श्रेष्ठ-उत्तम, कुबेर, (पुं०) पाठ-पढना (पुं०)॥ ६ ॥ षष्ठी-छह संख्याओंको पूरी करने. पृष्ठ-शरीरका पिछला भाग, पिछला वाली (त्रि०) देवी-भेद, (स्त्री.) (न.) प्रष्ठ-आगे चलनेवाला, श्रेष्ठ, (पुं०) हठ-जबरदस्ती, जलकुंभी, (पुं) प्रष्ठा-चांडाली औषधि, (स्त्री०) ॥७॥ ठतृतीय। बंठ-जिसका बिवाह न हुवा वह, अपष्ठ-काल, (पुं०) वामभाग,(त्रि.) भाला (हथियार ) धारनेवाला, अम्बष्ठ-ब्राह्मणसे उत्पन्नहुवा बनिटिंगना-पुरुष (पुं०) यानीका पुत्र, ॥ १० ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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