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________________ ग्रहयोगफलम् बुषक्षेत्रे शनौ चन्द्रे सप्तधान्यमहर्घता । शुक्रक्षेत्रे गुरौ भौमे कर्पासादिमहर्घता ॥२६२॥ शनिक्षेत्रे शनौ राहौ घृतधान्यमहर्षता । चन्द्रभास्करयोः क्षेत्रे सुभिक्षं चन्द्रसूर्ययोः ॥२६॥ पशुनाशो धान्यवृद्धिगुंडादीनां महर्घता । गुरुक्षेत्रे शनौ राहो पशुनाशस्तृणक्षयः ॥२४॥ भौमे राज्ञां विरोधश्च बुधे वृष्टिस्तु भूयसी। भौमक्षेत्रे यदा सन्ति राहुभौमार्कभार्गवाः ॥२६॥ षण्मासान् गुडकर्पासघृतक्षीरमहर्घता । मन्दक्षेत्रे यदा सन्ति मन्दराहुबुधास्तदा ॥२६॥ चतुष्पदानां नाशश्च द्विपदे मारिविग्रहो। भौमक्षेत्रे यदाऽपीयुः शुक्रभौमनिशाकराः ॥२६७।। तदा मुक्तापशूनां च शंखस्य च महर्घता । भौमक्षेत्रे भार्गवे च धान्यानां च महर्घता ॥२६८॥ शनि या चंद्रमा हो तो सात प्रकारके धान्य महँगे हों । शुक्र के क्षेत्रमें गुरु, या मंगल हो तो कपास आदि महँगे हों ॥२६२॥ शनि के क्षेत्रमें शनि या राहु होतोघी और धान्य महँगे हों। चन्द्र और सूर्य के क्षेत्रमें चंद्र और सूर्य हो तो सुभिक्षहोता है ॥२६३॥ तथा पशुओं का विनाश, धान्यकी वृद्धि और गुड आदि महँगे हो 1 गुरु के क्षेत्रमें शनि या गहु हो तो पशुभोंका विनाश तथा तृण (घास) का क्षय हो ॥२६४॥ मंगल हो तो राजामों का विरोध, बुध हो तो बहुत वर्षा हो । मंगल के क्षेत्रमें यदि राहु मंगल सूर्य और शुक्र हो तो ॥२६५॥ छः महीने गुड, कपास, घी, दूध मादि महँगे हो । शनि क्षेत्रमें यदि शनि राहु तथा बुध हो तो ॥२६६॥ पशुओं का नाश और मनुष्योंमें महामारी तथा विग्रह हो । मंगलके क्षेत्रमें शुक्र, मंगल और चंद्रमा होतो ॥ २६७ ।। मोति, पशु और शंख की तेजी हो। "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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