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________________ मेघमहोदये तिलव्रीहि विनाशाय कार्तिकेन्दुबुधोदयः । मार्गशीर्षोदितः सौम्यः कर्पासस्य कियत्फलम् ।.१६९। मागसिरे बुह उगमे, अह अस्थमै जू सुक्क । .. तौ तूं मत पूछसि घj, चउपग चहुटइं विक॥२०॥ मीगसिर मास एकादशी, वुध अत्थमण हवंति । कपडा कारा बेचि करि, कण ते अग्घ लहंति ॥२०॥ डमरं कुरुते पौषे माघमासोदये वुधः । फाल्गुने शशिपुत्रस्योद्यो दुर्भिक्षकारणम् ॥२०॥ पोसमासे बुध उगमह, जइ अस्थमइ तिण मास । महाराउ तजीया चवइ, भड्डुली घणु विमास"||२०३॥ इति खुमास्तफलम्-- मेषे बुधास्ते भुयने सुभिक्षं, चतुष्पदां नाशकरं वृषेःस्तम् । राज्ञांतु पीडा मिथुनेऽथ कर्केनावृष्टये मृत्युभयं च चौराः।१०४ "तथैव सिंहेऽल्पजलं युक्त्यां, वुधास्त नश्चौरभयोऽतिवृष्टिः । ब्रीहिका नाश हो । मार्गशिरमें बुधका उदय हो ता कपासकी थोड़ी प्र.प्ति हो ॥१६६॥ मार्गशिर म. बुवका उदय हो अथवा शुक्र का अस्त हो तो पशुओं को बेचना चाहिये ॥२००। मृगशिर महीने की एकादशी को बुध का अस्त हो तो कपडां आदि बेच कर धान्य खरीदना च.हिये ॥२०१॥ पौष तथा मान महीने में बुबका उदय हो तो कलह करें । फाल्गुनमें बुध: का उदय हो तो दुर्भिक्षकारक होता है ॥ २२ ॥ पौप्य महीने में बुक्का, उदय तथा अस्त हो तो महान् राजाओं का विनाश हो ऐसा हे भडली! बहुत विचार कर ॥२०॥ बुधका अस्त मेपराशि में हो तो पृथ्वी में सुभिक्ष हो । वृपराशि में हो तो पशुओं का विनाश । मिथुनमें हो तो राजाओंको पीडा । कर्कम हो तो अनावृष्टि मृत्युभय तथा चोरका भय हो । २०४ ।। इसी तरह सिंह "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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