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________________ मेघमहोदय तोडादिना धान्यमहर्घताच, वृषेऽतिवृष्टिर्मिथुने न वर्षा । कर्के मुखं सिंहपदे चतुष्पान् म्रियेत कन्या यहुधान्यसौख्यम् । भूकम्पयुद्धादितुलोदितेजे,तथाष्टमे राजभयंसुभिक्षम् ॥१८॥ धनुर्बुधस्याभ्युदयात् सुखानि, मृगे मही धान्यरसादिपूर्णा । कुम्भेऽतिवायुः पथिभीश्च मीने दुर्भिक्षपक्षो यदि वातिपुष्टिः। पौषाषाढश्रावणवैशाखेष्विन्दुजः समाधेषु । रष्टो भयाय जगतः शुभफलकृत्प्रोषितस्तेषु ।।१८६॥ अन्यत्रापि-- आषाढमासे यदि शुक्लपक्षे, चन्द्रस्य पुत्रोभ्युदयं करोति। शुक्रस्य चेच्छ्रावणमासि चास्तं, धान्यं सुवर्णेन समं तदाप्यम् ॥ भाद्र शुक्लचतुथ्यों पञ्चम्यां वोदितौ यदा ज्ञसितौ। धान्यं पुष्टिकायद्धं तदा जने लभ्यमतिकष्टकृत् ।।१६१॥ . लोके पुन:-"सुरगुरुत्रुध मेलावडो, जइ इकाईए होय। तो वर्षा न हो ॥१८६॥ कर्कमें सुख, सिंहमें पशुओं का विनाश, कन्यामें धान्य अधिक और सुख, तुला भूमिका युद्ध श्रादि, वृश्चिक में राजभय और सुभिक्ष हो ॥ १८७॥ धनुराशिमें बुध का उदय होनेसे सुख हो । मकरगशि में धान्य, रस आदि से पृथ्वी पूर्ण हो। कुंभ में वायु अधिक चले और मार्ग में भय हो । मीनराशि में बुध का उदय हो तो दुर्भिक्ष हो अथवा अतिवृष्टि हो ॥१८॥ पौष, आषाढ, श्रावण, वैशाख और माघ इन महीनों में बुधका उदय हो तो जगत् को भय हो, तथा इन महीनों में अस्त हो तो शुभ फलदायक होता है ॥१८६॥ आषाढ महीने का शुल पक्षमें बुक्का उदय हो और श्रावण मासमें शुक्र का अस्त होतो सुवर्णके बरामर धान्य हो ॥ १६० ॥ भाद्र शुक्ल चतुर्थी या पंचमीको बुध और शुक्र का उदय हो तो धान्य पुष्ट हो वह मनुष्यों में बहुत कष्टकारक प्राप्त हो ॥ १६१ ॥ बृहस्मृति और बुत्र यदि एक साथ हो वो बोक में "Aho Shrutgyanam
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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