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________________ बुधवारफलम् तुच्छधान्यं गुडस्तद्वन्मकरे विपुलं जलम् । चौरवमयं देशे कुम्भे राजसु विग्रहः ॥ १६९ ॥ मीने कुजास्तंगमनान्नमनागाकुला प्रजा । बहुप्रजा सुभिक्षेण सोत्सवः शुभलक्षणः ॥ १७० ॥ इति मङ्गलचारविचारः । अथ बुधचारः । नक्षत्रोपरिगभनफलम् -- बुधेऽश्विन्यां तु पीड्यन्ते गोधूमाश्च यवादयः । इक्षुरधरसादीनां समर्धे च घृतादिषु ॥ १७१ ॥ बुधे भरण्यां मातङ्गपीडा चाण्डालनाशनम् । तीव्ररोगा धान्यवस्तुमहर्ष लोकबैरतः ॥१७२॥ कृत्तिकायां बुधे विप्रपीडा मेघाल्पता जने । अन्नमयं ज्वरयाधा वचिद्विग्रहकारणम् १. १७३॥ (२४) दख आदि ॥ १६८ ॥ तुच्छ धान्य और गुड महँगे हो । मकर राशिमें हो तो इसी तरह तुच्छ धान्य और गुड महँगे हो और वर्षा विक हो । कुंभराशि हो तो देशमें चोर अग्निका भय हो तथा राजाओं में विग्रह हो ॥ १६६ ॥ मीनराशि मंगलका अस्त हो तो अन्न थोडे हो और प्रजा व्याकुल हो । पीछे सुभिक्ष हो तथा प्रजायें कच्चे महोत्सव हो ॥ १७० ॥ इति मंगलवारः ॥ अश्विनी में बुध हो तो गेहूँ और यव ध्यादिका नाश हो, ईख दूध घी भादि रस सस्ते हों ॥ १७१ ॥ भरणी में बुध हो तो हथियों को पीडा, चालका नाश, तीत्र रोग, धान्य वस्तु तेज और लोकमें वैर हो ॥ १७२ ॥ कृतिका में बुध हो तो ब्रह्मगको पीडा, वर्षा थोडी, अन्न थोडे, मनुष्यों में कबर पीडा तथा कहीं विग्रह हो ॥ १७३ ॥ रोहिणी में बुत्र हो तो कपास, "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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