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________________ सूर्यधारकथनम् (४०३) सोमे शुक्रे बुधे छत्र-भङ्गकृल्लोकतोषदः ॥८॥ कन्यार्कतो भाद्रपदेऽल्पवृष्टिः, शनेर्जने स्याद् बहुधान्यनाशः । कुजाजाद्या बहुधेतयो वा, वृष्टिस्तदाल्पातिमहतान्ने ॥८४॥ जीवेन्दुशुक्रज्ञपराक्रमेण, क्रमेण सौख्यं न बहुश्रमेण । अमुद्रसामुद्रकभूपयुद्धं, किञ्चिछिनाशोऽपि च पश्चिमायाम् ॥८५॥ आश्विने रवितुलाधिरोहिणे भास्करो द्विजगवादिदुःखदः । राज्यविग्रहकरः शनैश्चरः सर्पिषः खलु महर्घतांवदेत् ॥८६॥ पहुधा बहुधान्यसम्भवाद् , वसुधा पूर्णसुधा बुधाश्रयात् । गुरुणातिसमर्घमन्नकं, शशिना वा भृगुसूनुना तथैव ॥८॥ कॉरपॉः शालिजूर्णाप्रमुखैर्वसुन्धरा पूर्णा ! . महंगे हो । सोम शुक्र या बुधवार की हो तो लोक को आनंददायक छत्रभंग हो ॥८३॥ भाद्रपदमासमें कर्कसंक्रांति रविवार को हो तो वर्षा थोड़ी हो, शनिवार को हो तो बहुत धान्यका नाश हो, मंगलवार को हो तो रोग आदि बहुत प्रकार की ईतिका उपद्रव, वर्षा थोडी और अनाज महँगे हो ॥८४॥ गुरु चंद्रमा शुक और बुध इनके पराक्रमसे थोडी महेनतसे कमसे सुख हो, समुदपर्यन्त राजाओंका युद्ध और पश्चिममें कुछ विनाश हो ॥८५॥ आश्विनमासमें सूर्यकी तुलासंक्रांति रविवारको हो तो ब्राह्मण गौ आदिको दःखदायक है, शनिवारको हो तो राज्यविग्रह हो और घी महँगे हो ॥८६॥ बुधवारको हो तो बहुत प्रकार के धान्यकी प्राप्ति, तथा पृथ्वी पूर्ण अमृतरसवाली हो । गुरुवारको हो तो अन्नाज सस्ते हो, इसी तरह चंद्रमा और शुक्रवार होनेसे भी अनाज सस्ता हो ॥८७॥मंगलवार हो तो कंगु अपंगु "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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