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________________ सूर्यचारकथनम् सोमे सर्वजने सौख्यं सन्धिः सर्वत्र भूभुजाम् । तारग्रहवेधेऽल्प- मध्योत्कृष्टफलोदयः ॥ ६६ ॥ धनुषि तरणिभोगे मार्गशीर्षेऽर्क भौमौ, शनिरपि यदि वारचौडकर्णाटगौडाः । सुरगिरिमलयान्ता मालवास्तेषु राज्ञां, रणमरणविशेषाद विग्रहाय त्रयोऽमी ॥ ६७ ॥ कर्पास सूत्रादितिलाज्यतैलमहघेता लाभदशासुवर्णात् । शैत्यप्रवृद्धिर्भुवि सोमवारे, किञ्चिद्विनाशोऽप्यत एव धान्ये ॥६८॥ बुधे गुरौ वान्नसमघता स्थाच्छुके पुनम्लेच्छ जनप्रमोदः । पौषे मृगेऽर्कः शनिना भयाय, प्रभाकृता क्षत्रकुलक्षयाय ॥६९॥ बुधान् मुधा युद्धमुशन्ति बुधा (३९९) हो || ६.५ || सोमवार को हो तो समस्त मनुष्यों में सुख हो और राजाओं में सब जगह संधि हो । इस संक्रांतिके वारको गृहवेध होनेसे जवन्य मध्यम और उत्कृष्ट फल होता है ॥ ६६ ॥ यदि मार्गशीर्ष मास में धनसंक्रांति को रवि मंगल या शनिवार हो तो चौड, कर्णाट, गौड, देवगिरि, मलय, मालवा आदि देशोंके राजाओं में युद्ध मरण और विप्रह ये तीनों हों ॥६७॥ कपास, सूत, तिल, तेल, घी आदि तेज हो तथा सोना से लाभ हो । सोमवार हो तो पृथ्वीपर शीतकी वृद्धि हो इससे धान्य में कुछ विनाश हो ॥ ६८ ॥ या गुरुवार हो तो अनाज सस्ते हों शुक्रवार हो तो म्लेच्छलोगों को आनन्द - हो यदि पौष मास में मकरसंक्रांति को शनिवार हो तो भय हो । रविवार हो तो क्षत्रिय कुलका नाश हो ॥ ६६ ॥ बुधवार हो तो विना कारण युद्ध हो ऐसे पण्डित' "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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