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________________ तिथिफलकथनम् (३७५) अह पुन्निमा य दिवसे नक्खत्तं रोहिणी अहोरत्तं । ता सव्व धण्णहाणी रसाण लोहाइधाउणं ॥२१३।। अह भरणी दुपुहरा दुन्निय पुहरा य कत्तिया होइ । ता कुणइ अग्घहाणी दो मासा लवणकप्पासे ॥२१४॥ अह कत्तिय दो पुहरा तउपरं रोहिणी उ छ पुहरा। दो मासाय सुगाली दो मासा होइ दुकालो ॥२१५॥ अथ मार्गशीर्षमास: +मार्गशीर्षचतुर्थ्यां चेन्मङ्गलो रेवतीदिने । प्रतिग्रामं वह्निभयं जगत्क्ले शव्यथामयम् ।।२१६॥ मार्गशीर्षेऽथवा पौषे फाल्गुने धवलांशके । नक्षत्रात् तिथिभोगेऽल्पे गोधूमा लाभदायिनः ॥२१७॥ छादश्यां मार्गशीर्षस्य भौमवारेऽकसंक्रमे । भावि वर्षविनाशाय ग्रहणं शीतगोस्तथा ॥१८॥ को दिनरात रोहिणी नक्षत्र हो तो समस्त धान्य,रस तथा लोहा आदिधातुओं का विनाश हो ॥२१३॥ यदि दो प्रहर भरणी और दो प्रहर कृत्तिका हो तो दो महीने लवण और कपास तेज हो ॥२१४॥ यदि दो प्रहर कृत्तिका और पीछे छह प्रहर रोहिणी हो तो दो महीना सुकाल याने सस्ता, और दो मास दुष्काल याने महँगा हो॥२१५॥ इति कात्तिकमासः ॥ मार्गशीर्ष चतुर्थीको या रेवती नक्षत्रके दिन मंगलवार हो तो प्रत्येक गांवमें अग्नि का भय और जगत् क्लेश-दुःखमय हो ॥२१६॥ मार्गशिर, पौष या फाल्गुन के शुक्लपक्षमें नक्षत्र के भोगसे तिथि भोग थोड़े हो तो गेहूँसे लाभ हो ॥२१७॥ मार्गशीर्ष द्वादशीको या सूर्य संक्रांतिको मंगलवार हो तथा चन्द्रग्रहण हो तो अगला वर्ष विनाश हो ॥ २१८॥ मार्गशीर को रविवार हो तो कपास रूई का संग्रह करना वैशाख में लाभदायक है Fटी-रेवतीदिने यद्वा चतुर्थीदिने मङ्गजः । -- "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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