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________________ तिथिफलकथनम् (३५७) यदा त्रैलोक्यदीपके श्रीहेमप्रभसूरयःमासाभिधाननक्षत्रं राकायां क्षीयते यदिः । महत्वं तदा ननं वृद्धौ ज्ञेया समर्थता ॥१०॥ मासनामकनक्षत्रं राकायां न भवेद् यदा। महर्घ च तदावश्यं तत्तद्योगे विशेषतः ॥१०६।। धिष्ण्यवृद्धिदिने चन्द्रः क्रूरैर्यदिन दृश्यते । समर्प जायते धान्यं क्रूरदृष्टे महर्घता.॥१०७॥ विष्ण्यवृद्धिदिने यत्र तिथिपागिरीयसी । दिने तत्र समर्घ स्यात् तिथिवृद्धौ महर्घता ॥१८॥ ऋक्षवृद्धौ रसाधिक्यं कणाधिक्यं च निश्चितम् । योगाधिक्ये रसोच्छेदो दिनार्घप्रत्यहं स्फुटम् ॥१०९॥ षभिश्च नाडिकाभिश्च धिष्ण्यवृद्धिः क्रमाद्यादि । प्रत्येकं च तिथेर्यत्र समर्घ सन जायते ॥११०॥ षभिश्च नाडिकाभिश्च तिथिवृद्धिः क्रमाचदा । .... यदि महीनेका नक्षत्र पूर्णिमाके दिन क्षय हो जाय तो निश्चयसे अन्न महँगे हो और बढे तो सस्ते हों ॥१०५॥ महीनेका नक्षत्र यदि पूर्णिमाके दिन न हो तो उन २ योगों में विशेष कर अन्न महँगे हो ॥ १०६ ॥ नक्षत्रकी वद्धिके दिन चन्द्रमा यदि कर ग्रहसे दृष्टं न हो तो धान्य सस्ते हों और कर ग्रहसे दृष्ट हो तो महँगे हो ॥१०॥ नक्षत्रकी वद्धि के दिनकी तिथि यदि समीपकी तिथिसे. बड़ी हो तो उस दिन अन्न सस्ते हों। और समीपकी तिथि वद्धि हो तो महँगे हो ॥ १.२८॥ नक्षत्रकी वृद्धि हो तो निश्चयसे रस और धान्यकी अधिकता हो ।.योगकी वृद्धि हो तो रस का- नाश हो यह प्रतिदिन स्फुट है ॥ १.०६ ।। जहां प्रत्येक तिथि से नक्षत्रकी वृद्धि छह घड़ी अधिक हो तो वहां अन्न सस्ते हों ॥ ११० ॥ यदि प्रत्येक नक्षत्र से तिथि की वृद्धि छह घड़ी अधिक हो तो निश्चय से "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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