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________________ तिथिफलकथनम् * ज्येष्ठकृष्णप्रतिपदि शनिवारः प्रवर्तते । जलशोषः प्रजादुःखं छत्रभङ्गोऽपि सम्भवेत् ॥१८॥ ज्येष्ठकृष्णे दशम्यां च रेवती सुखकारिणी। एकादश्यां खण्डवृष्टि- दश्यां सानुकष्टदा ॥६९॥ शुक्ले ज्येष्ठदशम्यां चे-च्छनिवारः प्रजायते । वृष्टिरोधो गवां नाशो महाशोकाकुला प्रजा ॥७॥ लोकेऽप्याह-जेठी पूनिम मूल रिख, जो थोडो ही दीसंति । साख दहो दिसि नीपजे, तदा नीर पलयंति ॥७१॥ अथाषाढमासःयावती भुक्तिराषाढे शुक्लायां प्रतिपद्दिने । पुनर्वस्वोश्चतुर्मास्यां वृष्टिः स्यात् तावतीस्फुटम् ॥७२॥ कालीरोहिणीविचार: आषाढे दशमी कृष्णा सुभिक्षाय च रोहिणी । युक्त हो तो बड़ा दुर्भिक्ष होता है ॥६७॥ ज्येष्ठकृष्ण प्रतिपदा को शमिवार हो तो जलका शोष, प्रजाको दुःख, और छत्रभंग का भी संभव हो ॥६८॥ ज्येष्ठकृष्ण दशमी को रेवती नक्षत्र हो तो सुख कारक, एकादशी को हो तो खंडवृष्टि और द्वादशी को हो तो कष्टदायक है ॥६६॥ ज्येष्ट शुक्ल दशमीको शनिवार हो तो वर्षाका निरोव, गौओं का नाश और प्रजो बड़ा शोकसे व्याकुल हो ॥७०॥ लोक में भी कहा है कि ज्येष्ठपूर्णिमाके दिन थोड़ासा भी मूल नक्षत्र हो तो दशों ही दिशामें धान्यप्राप्ति हो और जल वर्षा अच्छी हो ॥ ७१॥ __आषाढ शुक्ल प्रतिपदाके दिन पुनर्वसु नक्षत्र जितना हो उतनी चातुर्मास में वर्षा हो ॥ ७२ ।। आषाढ कृष्णदशमी के दिन रोहिणीनक्षत्र हो तो *टी-ज्येष्ठस्य प्रथमपक्षकथनात् शुक्लपक्षभ्रमनिवारणाय ज्येष्ठकएणपतिपदीत्युक्तम्।ज्येठ मास अमावसे, जो शनिवारी होयादेव नवरसे घण मरे, विरलो जीवे कोय ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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