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________________ iameter (३४८) अथ वैशाखमास: वैशाख कृष्णप्रतिपत्तिथेने समेsधिके । नक्षत्रे ऽल्पजलं भूम्यां सुखं बहुजलं क्रमात् ॥४६॥ यदाहलो के चैत्र गयो वैसाख ज प्रासइ, प्रथमतिथि गणीनइ विमासह | तिथि वधे तो धान्ध विणासह, नक्षत्र वधे तो मेह अगासह १५० | वैशाख कृष्णपक्षस्य पञ्चम्यां जायते रविः । आगामि वर्षसंक्रान्तौ तहिने वृष्टिबाधकः ॥५१॥ वैशाखशुक्लपञ्चम्यां शनिनार्द्राप्रसङ्गतः । सर्व वस्तु समस्याद् भाद्रे मेघमहोदयः ॥ ५२ ॥ वैशाखमासे सितपञ्चमी सा, सूर्यादिवारेश्चिनुते फलानि । मन्दा च वृष्टिस्त्वतिवृष्टियुद्धं, यातं सुभिक्षं कलहान्ननाशनम् वैशाखे यदि सप्तम्यां धनिष्ठा वा श्रुतिर्भवेत् । श्यामवस्तुमह स्यात् समर्धे धवलं तदा ॥ ५४ ॥ प्रथम नक्षत्र में निर्दोष हो तो भी गर्भपात हो जाता है ॥४८॥ वैशाख कृष्ण प्रतिपदा के दिन जो नक्षत्र हो वह प्रतिपदासे हीन हो तो भूमि पर थोड़ा जल वरसे, समान हो तो सुख और अधिक हो तो बहुत जल बरसे ॥ ४६ ॥ लोक में भी कहते हैं कि- चैत्र बीतने बाद वैशाख मास की प्रथमतिथि प्रतिपदा बढ़े तो धान्य का विनाश और नक्षत्र बढ़े तो मेव आकाश में रहे ॥ ५० ॥ वैशाख कृष्ण पंचमी के दिन रविवार हो तो आगामी वर्ष संक्रान्तिके दिन वर्षा न हो ॥ ५१ ॥ वैशाख शुक्ल पंचमी शनिवार के दिन आर्द्रा नक्षत्र हो तो सब वस्तु सस्ती हों और भाद्रपद में मेवका उदय हो ॥ ५२ ॥ वैशाख शुक्ल पंचमी रविवार आदि के दिन हो तो उसका कसे मंददृष्टि, अतिवृष्टि, युद्ध, वायु, सुभिक्ष, कलह और अन्ननाश ये फल जानना || ५३ ॥ यदि वैशाख सप्तमी को धनिष्टा या श्रवण नक्षत्र हो "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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