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________________ (२९४) मेषमहोदये. विद्युत्पयोदवृष्टिश्चेद् वत्सरः स्यात् तदा शुभः ॥१६६॥. ज्येष्ठाषाढसमुद्भूते रोहणीदिवसे नमः ।। साधं वृष्टिविनाशाय समेघं वृष्टिवर्द्धनम् ।।२००॥ ज्येष्ठे मूलदिने वृष्टि-ज्येष्ठान्ते दिवसड़ये । दुर्भिक्षं कुरुते श्रेष्ठा विद्युत्पांशुयुतानिलः ॥२०१॥ ज्येष्ठमासे तथाषाढे यत्र यत्राहवर्षणम् । श्रावणे भाद्रमासे वा तहिने वृष्टिनिर्णयः ॥२०२॥ ज्येष्ठे श्रुतिद्वये विद्यु-गर्जितं वा सुभिक्षदम् । निरभ्रा रोहिणी चेन्दु-युक्ता वृष्टिविनाशिनी ॥२०३॥ ज्येष्ठे शुक्ल द्वितीयायां गर्भपाताय गर्जितम् । शुक्ले तृतीयायोगे वृष्टुिंर्भिक्षदर्शिनी ॥२०४॥ ज्येष्ठ शुक्ले द्वितीयादा-वाऽऽर्द्रादिका विलोक्यते । स्वात्यन्ता दशनक्षत्री तदृष्टिगर्भपातिनी ॥२०॥ तो वर्ष श्रेष्ठ होता है ॥१६६॥ ज्येष्ठ और आषाढमें रोहिणी नक्षत्रके दिन आकाश बादल सहित हो तो वृष्टिका नाशकारक है, मगर वर्षाहो तो वृष्टि का वृद्धिकारक है ॥२०॥ ज्येष्ठमें मूलनक्षत्रके दिन और अन्तके दो दिन बर्षा हो तो दुर्भिक्ष होता है और केवल बिजली चमके धूलियुक्त वायु चले तो श्रेष्ठ है ॥२०१॥ ज्येष्ठ और आषाढ मासमें जिस दिन वर्षा हो उसी दिन श्रावण और भाद्रमासमें वर्षा हो ॥२०२॥ ज्येष्ठमें श्रवण और धनिष्ठा के दिन बिजली चमके, मेघ गर्जना हो तो सुभिक्षदायक है । और चंद्रमा युक्तरोहिणी नक्षत्र बादलरहित हो तो वर्षाका नाशकारक होता है स२१३॥ ज्येष्ठ शुक्र द्वितीया को गर्जना हो तो वर्षाका गर्भपात होला है. शुरु तृतीया आर्दा युक्त हो और उसी दिन वर्षा हो, तो दुर्भिक्ष कारक है. ॥ २.० ४. ॥ ज्येष्ट्र.शुक्ल द्वितीया पानक्षत्रसे स्वाति नक्षश्च तक दश नक्षत्रों में से किसी नक्षत्र युक्त हो और उस दिन वर्षा हों तो वर्षाका गर्भपास होला है ॥२.०५॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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