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________________ वर्षराजादिकफलम् (६६५) आर्द्राप्रवेशे दिननाथ उक्तो, मेघाधिपःप्राक्तनविप्रनुख्यैः।२६॥ तुलाप्रवेशेऽहनि यस्यवारो, रसाधिपोऽयं नियत:प्रदिष्टः । चापप्रवेशे दिवसाधिनाथो, धान्याधिनाथ: कथितोमुनीन्द्रैः।२१ केचित्तु-चैत्रस्य शुक्लप्रतिपत्तिथ्यादौ स्युर्चपादयः । चैत्रादिवत्सरमते फलन्तीत्येवमुचिरे ॥२८॥ विजयदशम्यां वार इत्यादिमतं स्वतन्त्रमतिफलदम् । स्यात् कार्तिकादिवत्सरमतेऽन्दगर्भोद्भवात् तत्र ॥२९॥ फाल्गुनान्तकथनात् फाल्गुनामावस्यां चैत्रशुक्लप्रतिपत् संयोगस्य प्रायसो बाहुल्याद दर्शदिने यो वारः स अब्दपः । उत्तरार्द्ध तु "विजयदशम्यां यो वारः स राजा, तुलार्कवारो मन्त्री,वृश्चिकार्कवारो हि कोहपालः, धनुष्य योवारश्च रसाधिपः, मकरे सस्याधिपः, ज्येष्ठार्कवारो जलाधिपः, कार्तिके वार हो वह प्राचीन मुनियोंने धान्याधिपति कहा है । आर्द्रा नक्षत्रमें जब सूर्य प्रवेश करे उस दिन जो वार हो वह मेधाधिपति प्राचीन विद्वानोंने कहा है ॥ २६ ॥ तुलासंक्रन्तिके दिन जो वार हो वह रसका अधिपति माना है। धनुसंक्रांतिके दिन जो वार हो वह मुनियोंने धान्याधिपति कहा है ॥२७॥ कोई ऐसा करते है कि-चैत्र शुद्ध पडाके अ.दिमें जो बार हो वह राजा है वह चैत्रादि वर्ष के मत से फलदायक होता है |॥२८॥ विजयदशमीके वार का जो मत है वह स्वतंत्र मति से फलदायक है यह कार्तिकादि वर्षके मत से जानना ।। २६ ॥ फागुमासकी अमावस्या के दिन चैत्रशुक्ल प्रतिपदाका संयोग बहुत करके होता है, इसलिये 'फाल्गुनान्त' ऐसा कथन किया गया है। उत्तराईमें तो “विजयदशनी के दिन जो वार हो वह राजा, तुलार्कके दिन जो वार हो वह मंत्री, वृश्चिकसंक्रान्ति के दिन जो वार हो वह कोटवाल , धनुसंक्रान्ति के दिन जो वार हो वह रसका अधिपति, मकरसंक्रान्तिके दिन जो वार हो वह धान्याधिपति, ज्येष्ठार्क के दिन जो वार हो वह जलाधि "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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