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________________ मेवमहोदय भाद्र पौषे तथा माने विशेषेख मस्यता । यन्माले दशमीच्छेद-स्तदा पुनमहर्घता com श्वेतपक्ष प्रतिपदा पसामी वाचतुर्दशी। वर्द्धिता चेत् सुभिक्षाय छिन्ना दुर्भिक्षकारिका॥4॥ चतुर्दशीत आषाढी हीना वर्षे यदा भवेत् । भावाश्रयेण तमाच्यं महर्घ च समे समः ॥८२॥ आषाढी स्वधिका तस्या समर्थ तु तदा मतम् । संवत्सरस्य वतिन्याः शन्यमाने तु निष्कणम् ॥१३॥ चैत्राद् भाद्रपदं याव-चक्लपक्षे यदा त्रुटिः। तदा क्वचिवोपपत्ति-रल्पधान्योदयः क्वचित् ॥८४॥ मार्दा ज्येष्ठे नष्टचन्द्र प्रथमायां पुनर्वसुः।। द्वितीया पुष्यसंयुक्ता जलं धान्यं तृणं न च ॥८॥ कृष्णपक्षे श्रावणस्यैकादश्यां रोहिणी च भम् । बाबद घटीप्रमाणं स्याद् धान्ये तावद् विशोपकाः ॥८६॥ मादित्याद वारगगानात् प्रतिपत्प्रमुखा तिथिः । क्षय हो तो विशेष करके अन्नादिककी तेजी हो । जिस मासमें दशमी का क्षय हो तो घी महँगा हो ॥८०॥ शुक्लपक्षमें प्रतिपदा, पंचमी या चतुर्दशी बढे तो सुभिक्ष और घटे तो दुर्भिक्ष करें ॥ ८१॥ जिस वर्षमें यदि चतुर्दशीसे भाषाढ पूर्णिमा हीन हो तो अन्न महँगा हो और सम हो तो समान भाव रहे ॥८२ ।। यदि अधिक हो तो अन्न सस्ते हों और क्षय हो तो धान्य प्राप्ति न हो ॥८३॥ यदि चैत्रमाससे भाद्रपद तक शुक्लपक्ष में तिथि का क्षय हो तो कचित् ही थोड़ी धान्य प्राप्ति हो ॥८४ ॥ ज्येष्ठ मासकी अमावस के दिन आ , पड़वा के दिन पुनर्वसु और द्वितीयाके दिन पुष्य नक्षत्र हो तो तृण, धान्य और जलका प्रभाव हो ॥८५ ।। भावण मासकी कृष्ण एकादशीके दिन रोहिणी नक्षत्र जितनी घडी हो, उतने ही प्रमाण धान्य का विशोपका (विश्वा) जानना ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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