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________________ संवत्सराधिकार ज्येष्ठेऽनसमता, आषाहे उद्दण्डवायुः, श्रावणेऽल्पमेघोऽन्नसमर्घता, भाद्रपदे मेघानां महादयः, गोधूमाः समघाः कणकलशिका एका फदिया ३५ प्रमाणेन लभ्यते, सर्वधातवः समर्घताः, आश्विने सर्वरससमर्थता धान्यसमता, कात्ति कादिमासयं यावत् सर्ववस्तुसमता राजस्वस्थः ग्रामे ग्रामे नवीना वसतिः सर्वलोकसुखी, अश्वमहर्यता चतुष्पदमहघेता, पौषादिमासनये समता परं धातुसमर्थता ॥ ५५ ॥ दुन्दुभीवत्सरे बुधः स्वामी, वर्षा बहुला, अन्नसमर्घतारसकसवस्तुसमता, चैत्रादिमासत्रयेऽन्नसमर्घता, आषाढे द्वि. गुणो लाभोऽल्पमेघः, श्रावणे दिन ११ महावृष्टिः, भाद्रपदे मेघा दिन ९ अन्नं समर्थे, देशा नवीना वसन्ति, आश्विनेऽन्नं सर्व, रोगा बहुला मंजिष्ठामरिचानां समर्घता, सर्वरससर्वधातुसमर्घता, कार्तिके धान्यं समर्थ मेदपाटे लोकपीडा अन्नदुर्भिक्षं, पश्चिमाघां शुभं, मार्गशीर्षे समर्घता राज्ञां प. सम, आषाढने प्रचंड पवन, श्रावणमें थोड़ी वर्षा; अनाज सरता; भाद्रपदमें जलवर्षा; गेहूँ सस्ता; ३५ फदियाका कलशी धान्य; सब धातु सस्ती; आश्विन में सब रस सस्ते; धान्यभाव सम; कार्तिक मार्गशीर्ष तक सब वस्तुको सम्भाव; राजा स्वस्थ, गांव गांव में नवीन वसति अर्थात् नये नये गांव वसे; सब लोक सुखी; घोडे का भाव तेज; पशु का भाव तेज; पौषादि तीन मास समान परंतु धातु सस्ती ॥ ५५ ॥ दुन्दुभीवर्षका स्वामी बुध , वर्श अधिक , अनाजका भाव सस्ता, रसकस वस्तुका समान भाव , चैत्रादि तीन मास अनाज सस्ता , आषाढमें दूगुना लाभ, थोड़ी वर्षा, श्रावणमें दिन ग्यारह महावर्षा, भाद्रपद में दिन नव वर्षा अनाज सस्ता, नवीन गांव बसे, आश्विनमें अनाज सस्ता, रोग अधिक, "मँजीठ मिरच सस्ता, सब रस वस्तु धातु सस्ती, कार्तिकमें धान्य सस्ता, "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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