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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates द्रव्य गुण पर्याय - गुरूजी, आज अख़बार में देखा था कि अब ऐसे अणुबम बन गये हैं कि यदि लड़ाई छिड़ गई तो विश्व का नाश हो जायगा । अध्यापक क्या विश्व का भी कभी नाश हो सकता है ? विश्व तो छह द्रव्यों छाञ पाठ छठवाँ अध्यापक के समुदाय को कहते हैं और द्रव्यों का कभी नाश नहीं होता है, मात्र पर्याय पलटती हैं। छात्र अध्यापक – गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं। छात्र - मन्दिरजी में सूजी के प्रवचन में तो सुना था कि द्रव्य, गुण और पर्यायवान होता है (गुण पर्ययवद् द्रव्यम् )। - ठीक तो है, गुणों में होने वाले प्रति समय के परिवर्तन को ही तो पर्याय कहते है। अतः द्रव्य को गुणों का समुदाय कहने में पर्यायें आ ही जाती हैं। छात्र - विश्व तो द्रव्यों के समूह को कहते हैं और द्रव्य ? - गुणों के परिणमन को पर्याय कहते हैं, यह तो समझा, पर गुण किसे कहते हैं ? अध्यापक – जो द्रव्य के सम्पूर्ण भागों ( प्रदेशों) में और उसकी सम्पूर्ण अवस्थाओं (पर्यायों) में रहता है, उसको गुण कहते हैं । जैसे ज्ञान आत्मा का गुण है, वह २३ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com
SR No.009515
Book TitleBalbodh Pathmala 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherMaganmal Saubhagmal Patni Family Charitable Trust Mumbai
Publication Year1995
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size572 KB
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