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________________ boy.pm5 2nd proof + + + + + + तेउकाय की उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल का असंख्यातवा भाग है । वायुकाय की उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल का असंख्यातवा भाग है । + साधारण वनस्पतिकाय की उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल का असंख्यातवा भाग है। प्रत्येक वनस्पतिकाय की उत्कृष्ट अवगाहना एक हजार योजन है । + बेइन्द्रिय की उत्कृष्ट अवगाहना बारह योजन है । + तेइन्द्रिय की उत्कृष्ट अवगाहना ३ गाउ है । + चउरिन्द्रिय की उत्कृष्ट अवगाहना एक योजन है । पंचेन्द्रिय मनुष्य गर्भज की उत्कृष्ट अवगाहना तीन गाउ है । + पंचेन्द्रिय मनुष्य संमूर्छिम की उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल का असंख्यातवा भाग है। + पंचेन्द्रिय देवों की उत्कृष्ट अवगाहना ७ हाथ है। + पंचेन्द्रिय तिर्यंच गर्भज की उत्कृष्ट अवगाहना एक हजार योजन है । + पंचेन्द्रिय तिर्यंच संमूर्छिम की उत्कृष्ट अवगाहना एक हजार योजन है । + पंचेन्द्रिय नारकी की उत्कृष्ट अवगाहना ५०० धनुष है । याद रखो : इन जीवों की अवगाहना इतनी है इसका अर्थ यह हुआ कि इन जीवों का शरीर प्रमाण इतना है । उदाहरण, प्रत्येक वनस्पतिकाय की अवगाहना १००० योजन की है। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रत्येक वनस्पतिकाय का शरीर प्रमाण १००० योजन जितना होता है। ३७. आयुष्य आयुष्य को समझने के लिए काल का प्रमाण समझना चाहिए । काल का सबसे सूक्ष्म रूप है समय । समय बहुत ही बारीकाई से मापा जाता है। हम श्वास लेते है इतने में तो असंख्य समय निकल जाते है। काल की गिनती आवलिका से शुरू होती है । असंख्य समय - १ आवलिका |३० मुहूर्त = १ दिन २५६ आवलिका - १ क्षुल्लकभव | १५ दिन = १ पक्ष १७|| क्षुल्लकभव = १ श्वासोश्वास २ पक्ष = १ मास ७ प्राण १ स्तोक |२ मास ७ स्तोक १ लव |३ ऋतु = १ अयन ७७ लव १ मुहूर्त २ अयन = १ वरस १ मुहूर्त __= ४८ मिनिट ८४ लाख वरस = १ पूर्वांग १ मुहूर्त = २ घडी ८४ लाख पूर्वांग - १ पूर्व __ काल को मापने के लिए दो शब्दों के अर्थ समझने चाहिये है। पल्योपम, सागरोपम । पल्योपम :- एक गहरा कूवा है । वह एक योजन लम्बा, एक योजन चौड़ा और एक योजन गहरा है। इस कूप को सात दिन के उम्र के युगलिक के एक-एक बाल के असंख्य टुकड़ों से इस तरह ठसाठस भर दिया जाए कि उसके ऊपर से चक्रवर्ती की विशाल सेना, हजारों-लाखों सैनिक कुचल कर जाते है तो भी वह बिलकुल नहीं । दबता इस प्रकार ठसाठस भरे हुए खड्डे में कितने सारे बाल के टुकड़े होंगे? कल्पना तो करो । अब इस खड़े में से सौ-सौ वर्ष के अन्तर से बाल का एक-एक टुकड़ा निकालते रहे तो वह कितने वर्षों के बाद खाली होगा ? बहुत ज्यादा समय लगेगा । और माप तो निकलेगा ही नही वर्ष का । इस प्रकार खड़ा खाली करने में जितना समय लगे उसे पल्योपम कहते है । देवों का, नारकियों का आयुष्य मापने के लिए पल्योपम शब्द का उपयोग होता है। बालक के जीवविचार • ७३ ७४ • बालक के जीवविचार
SR No.009505
Book TitleBalak ke Jivvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamrativijay
PublisherPravachan Prakashan Puna
Publication Year2008
Total Pages48
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size1 MB
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