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________________ ३. ४. ५. ६. साधारण बादर वनस्पतिकाय के जीव पर्याप्ति पूरी करते हैं इसलिए साधारण बादर वनस्पतिकाय पर्याप्त रूप से जाने जाते हैं । साधारण बादर वनस्पतिकाय के जीव पर्याप्ति पूर्ण नहीं करते इसलिए साधारण बादर वनस्पतिकाय अपर्याप्त रूप से जाने जाते हैं । boy.pm5 2nd proof प्रत्येक वनस्पतिकाय के जीव बादर होते हैं लेकिन सूक्ष्म नहीं होते । प्रत्येक बादर वनस्पतिकाय के जीव पर्याप्ति पूर्ण करते हैं इसलिए प्रत्येक बादर वनस्पतिकाय पर्याप्त रूप से जाने जाते हैं । प्रत्येक बादर वनस्पतिकाय के जीव पर्याप्ति पूर्ण नहीं करते इसलिए प्रत्येक बादर वनस्पतिकाय अपर्याप्त रूप से जाने जाते हैं । पृथ्वीकाय के अप्काय के तेउकाय के वायुकाय के साधारण वनस्पतिकाय के प्रत्येक वनस्पतिकाय के एकेन्द्रिय के कुल ४ भेद ४ भेद ४ भेद ४ भेट ४ भेद २ भेद २२ भेद बालक के जीवविचार • ४१ २८. विकलेन्द्रिय के ६ भेद बेइन्द्रिय २ भेद : बेइन्द्रिय सूक्ष्म नहीं होते, बादर होते हैं । १. बेइन्द्रिय जीव अपनी पर्याप्ति पूर्ण करते हैं इसलिए बेइन्द्रिय पर्याप्त रूप से पहचाने जाते है । २. तेइन्द्रिय २ भेद : १. बेइन्द्रिय जीव अपनी पर्याप्ति पूर्ण नहीं करते इसलिए बेइन्द्रिय अपर्याप्त रूप से पहचाने जाते है । तेइन्द्रिय सूक्ष्म नहीं होते, बादर होते हैं । तेइन्द्रिय जीव अपनी पर्याप्ति पूर्ण करते हैं इसलिए तेइन्द्रिय पर्याप्त रूप से पहचाने जाते है I २. तेइन्द्रिय जीव अपनी पर्याप्ति पूर्ण नहीं करते इसलिए तेइन्द्रिय अपर्याप्त रूप से पहचाने जाते है । चउरिन्द्रिय २ भेद : चउरिन्द्रिय जीव सूक्ष्म नहीं होते, बादर होते हैं । १. चउरिन्द्रिय जीव अपनी पर्याप्ति पूर्ण करते हैं इसलिए चउरिन्द्रिय पर्याप्त रूप से पहचाने जाते है । २. चउरिन्द्रिय जीव अपनी पर्याप्ति पूर्ण नहीं करते इसलिए चउरिन्द्रिय अपर्याप्त रूप से पहचाने जाते है । याद रखो : लब्धि अपर्याप्ता जीवों का आयुष्य पूर्ण होने से वे अपर्याप्त रह जाते हैं। करण अपर्याप्त जीव पर्याप्ति अपूर्ण है तब तक की जीवन्त अवस्था में अपर्याप्त होते हैं। आयुष्य लम्बा होने से वे पर्याप्त बनते हैं । एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय में दोनों प्रकार के अपर्याप्त होने की सम्भावना है । ४२ • बालक के जीवविचार
SR No.009505
Book TitleBalak ke Jivvichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamrativijay
PublisherPravachan Prakashan Puna
Publication Year2008
Total Pages48
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size1 MB
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