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________________ पाँचवी नरक का उपर के हिस्सा नील लेश्या चौथी नरक में नील लेश्या तिसरी नरक के नीचे के हिस्सो में नील लेश्या तिसरी नरक के उपर हिस्सो में नील लेश्या पहली नरक और दुसरी नरक में कपोत लेश्या ६५) नरक में कौन जाता है ? कल्पसूत्रकी टीका में लिखा है कि तीव्र रागवाला, स्नेही-स्वजन पर द्वेष करनेवाला, गंदी-हलकी भाषा बोलनेवाला, मूर्ख की दोस्ती करनेवाला, नरक से आया है और नरक में जानेवाला है। इन लक्षणों से हम अनुमान कर सकते है कि साप, मछली, घडियाल, गीध, शेर, सिंह, हिंसक वृत्ति वाले मनुष्य आदि घोर हिंसा करते हैं, वे नरक से आये हैं और यहाँ से वापस नरक में जायेंगे । ये प्रायः अशुभ अध्यवसाय और हिंसकता के आधार पर कह सकते हैं। जीव नरक में नरकगति योग्य आयुष्य कर्म के आरंभ, समारंभ, हिंसा, अति परिग्रह, तीव्र मुर्छा मोह, तीव्र क्रोध आदि कषाय, रौद्र ध्यान से परिणित कृष्ण लेश्या वाले, पंचेन्द्रिय जीव की हत्या करनेवाले, अंडे, मांसाहार, रात्रि भोजन, शराब, चोरी, गुणीजन की निंदा. इा आदि करने रत्नप्रभा पृथ्वीनो यथार्थ-संपूर्ण दवाव गाथा सं. २१० - २१५ मेरू पर्वत रत्नप्रभा पृथ्वी प्रथम नरक LUS ૧૦ થો .: વાના૨ ૮o યો છે' रायपS NEW20 am , બૅન્તર ૮૦૦ ચો. न्याप०ब 00 साISA 300 घा, 4 થી પિ૬ ૧૧પ૮૩યો 25 HORO - છે - અસુરકુમાર ૨૧૫૮૩ કશો - OAROO ORLSमार . ONATION MOREA4मार.. 0AO - अपारमार, 01.2 माहाकुमारास TOGET मारक का GODAO DAO DAODAMOH PENOवा भार OPER SERIOस्तानतर PAPER 22QDRAOXA પિંક ૨૨૫ દઉં કે ચો કે BOOR प्रतरKARO बन्धUse-१००० 0. 'सं.टा.वि. घाघु -તન વાયુ (51) हे प्रभु ! मुझे नरक नहीं जाना है !!!
SR No.009502
Book TitleMuze Narak Nahi Jana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprabhvijay
PublisherVimalprabhvijayji
Publication Year
Total Pages81
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size2 MB
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