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________________ उदाहरण के लिए 2+2=4 यह हमेशा और सर्वत्र सत्य है। यानी यथार्थ ज्ञान गणित में मिलता है। हेराक्लीटस, सुकरात, प्लेटो, देकार्त, स्पिनोजा, लाइबनिज, पारमेनाइडस, काण्ट, वूल्फ, हीगेल आदि प्रमुख बुद्धिवादी दार्शनिक माने जाते हैं। यहां देकार्त, स्पिनोजा और लाइबनिज को महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में स्वीकार किया गया है। सी.ई.एम. जोड ने लिखा है कि "Descarts (1596-1650) Leibnitz (16461716) and Spinoza (1632-1677) are rationalists in the Phlosophical sense." रेन देकार्त-आधुनिक युग में इन्हें सबसे अधिक महत्त्व दिया जाता है। इन्हें आधुनिक दर्शन का जन्मदाता कहा जाता है। रसेल ने लिखा है कि "रेने देकार्त को प्रायः आधुनिक दर्शन का संस्थापक माना जाता है और मैं समझता हूं कि यह ठीक ही है। गहन दार्शनिक एवं सूक्ष्म विचार का वह पहला आदमी है, जिसकी विचारधारा पर नतन पदार्थ विज्ञान एवं ज्योतिषशास्त्र की गहरी छाप पडी है। यद्यपि यह सत्य है कि उसमें मध्ययुगीन शास्त्रीयता बहुत कुछ शेष है, फिर भी मान्यताओं को चुपचाप मान नहीं लेता है, बल्कि स्वयं एक सर्वथा नवीन दर्शन की रचना करने का प्रयत्न करता है। एरिस्टोटल के पश्चात् यह काम बन्द हो गया था और इसका प्रारम्भ होना उस आत्मविश्वास का परिचायक है जो मनुष्य में विज्ञान के विकास के कारण उत्पन्न हो गया था। ये प्रसिद्ध गणितज्ञ, वैज्ञानिक और दार्शनिक थे। गणित और ज्योतिर्विद्या में इन्होंने कुछ महत्त्वपूर्ण अनुसंधान किये हैं। दर्शन के आधुनिक युग के तो इन्हें पिता ही कहा जाता है। उनके प्रसिद्ध दार्शनिक ग्रन्थ-दार्शनिक पद्धति पर विचार, प्राथमिक दर्शन की साधना और दर्शन के सिद्धान्त हैं। इनके अनुसार बुद्धिजन्य ज्ञान ही सदैव असंदिग्ध एवं सत्य रहता है। इन्द्रियां तो अक्सर असत्य को सत्य बतलाती हैं। इसलिए उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। आत्मा का सार तत्त्व विचार है, इसलिए बुद्धि हमारे मानसिक जीवन का सार अंश है। बुद्धि अपने आप ज्ञान का विकास करती है। अन्य बुद्धिवादियों की तरह इन्होंने भी माना कि बुद्धि के द्वारा ही हमें यथार्थ और असंदिग्ध ज्ञान मिलता है। अनुभव के द्वारा प्राप्त ज्ञान हमेशा सत्य नहीं होता है। इन्होंने प्रत्ययों को तीन भागों में बांटा है1. बाह्यार्थ प्रसूत-जो बाहरी पदार्थों से उत्पन्न होते हैं। 2. कल्पना प्रसूत-इस प्रत्यय की उत्पत्ति कल्पना से होती है। उदाहरणस्वरूप सोने का पहाड़, उड़ता हुआ घोड़ा आदि।। 3. जन्मजात अथवा सहज प्रत्यय-ये प्रत्यय मनुष्य के मस्तिष्क में जन्मकाल से ही विद्यमान रहते हैं। इन्हें ईश्वर प्रदत्त बतलाया गया है। आत्मा, ईश्वर, कार्यकारण-नियम, द्रव्य इत्यादि का ज्ञान सहज (जन्मजात) है। देकार्त ने इन प्रत्ययों (सहज प्रत्ययों) को सबसे अधिक महत्त्व प्रदान किया है। यही कारण है कि इन्हें बुद्धिवादी कहा जाता है। इनका मानना है कि बुद्धि जन्मजात प्रत्ययों 90
SR No.009501
Book TitleGyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, & Philosophy
File Size1 MB
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