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________________ हार हो गई तथामिश्र का नाम उल्ला का सम्राट कहा तक ले जाने वाला न्याय से नव न्याय के प्रणेता बिहार के हैं। कुछ बिहार के प्रभाव के कारण ही बंगाली भी नव नैयायिक बने। गौतम, उदयनाचार्य, कृष्ण मिश्र, श्री गंगेश उपाध्याय, डॉ. उमेश मिश्र, डॉ. अमरनाथ झा, डॉ. हरिमोहन झा, रघुनाथ शिरोमणि आदि का नाम नित्य स्मरणीय है। गदाधर को कुछ लोग बंगाली मानते हैं। जो भी हो किन्तु यह निर्विवाद ही है कि इनको ऊँचाई तक ले जाने वाला बिहार ही है। गदाधर को भारतीय तार्किकों का सम्राट कहा गया है। मीमांसा दर्शन के क्षेत्र में मण्डन मिश्र का नाम उल्लेखनीय है। यद्यपि आदिशंकराचार्य से इनकी हार हो गई तथापि शंकर को भी उनकी पत्नी भारती के समक्ष कुछ समय तक स्तब्ध रह जाना पड़ा। यह सही है कि दोनों अन्त में शंकर का शिष्यत्व ग्रहण कर लिया किन्तु शंकर दिग्विजय का अन्तिम पडाव मण्डन मिश्र ही ठहरे। इनकी पैठ ज्ञान मीमांसा, तत्त्व मीमांसा और आचार मीमांसा पर समान रूप से दृष्टिगत होता है। ये और वाचस्पति मिश्र दोनों पूर्वमीमांसा और उत्तर मीमांसा के प्रकाण्ड पण्डित निकले। इन्होंने शंकर के अरमानों को मंजिल तक पहुंचाया है। अतः हम कह सकते हैं कि बिहार ही भारत को उच्च शिखर पर पहुंचाया है और पहुंचायेगा। कौटिल्य का नीति दर्शन और अर्थशास्त्र अभी भी दुनियां के लिए प्रेरणादायक हैं। साहित्य के क्षेत्र में विद्यापति का नाम आज भी श्रद्धापूर्वक लेते दर्शन के क्षेत्र में तो बिहर ने आधार वाक्य का काम किया है। ज्ञान सबसे मूल्यवान चीज है, तभी तो श्रीमद्भगवद् गीता में कहा गया है किन हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते। तत्स्वयं योगसंसिद्धः कालेनात्मनिविन्दति।। 42 अर्थात् इस पृथ्वी पर ज्ञान से बढ़कर या उससे बड़ा कोई शुद्धि कर्ता नहीं है। जो कोई कर्मयोग के निरन्तर प्रयास के द्वारा हृदय की पवित्रता प्राप्त कर लिया है, वह स्वयं अपनी आत्मा में सत्य का प्रकाश पा लेता है और वही सत्य का द्रष्टा चरम आनन्द को भी प्राप्त करता है। इसीलिए गीताकार ने आगे फिर बतलाया है कि श्रद्धाबांल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः । ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति।।45 यानि ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् ही आनन्द और शान्ति की प्राप्ति होती है। दर्शन के अन्तर्गत ज्ञानमीमांसा, तत्त्वमीमांसा और आचारमीमांसा का अध्ययन किया जाता है। जहां तक ज्ञानमीमांसा का प्रश्न है, वह ज्ञान का विज्ञान अथवा दर्शन भी कहलाता है। इसे ज्ञान की समीक्षा भी कहा जाता है। इसके अन्तर्गत ज्ञान का स्वभाव, अवस्था, सीमाएँ, फैक्टर्स और उसकी यथार्थता की जांच एवं व्याख्या की जाती है। हरिमोहन भट्टाचार्य के शब्दों में "The Term epistemology means the science or philosophy of knowledge. Epistemology may be defined as the science which inquires into the nature, condition and factors, the limits and validity of knowledge."144 163
SR No.009501
Book TitleGyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, & Philosophy
File Size1 MB
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