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________________ शेरशाह ग्रैंड ट्रक रोड़ के नाम से जाना जाता था, वह अशोक के द्वारा ही निर्मित हआ था। शेरशाह ने उसकी केवल मरम्मत करवाई थी। इतिहासकार आज भी इसे कबूल करते हैं। आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक समृद्धियों के कारण और परिणाम को भूलाया नहीं जा सकता है। यदि आज भी बिहार की ऐतिहासिक देन से प्रेरणा लें तो भारत के विकास में वह अहम् भूमिका अदा कर सकता है। जो आज गरीबी, उत्पात, घोटाला एवं अशिक्षा में अपना नाम कमाने की ओर बढ़ रहा है, वह भारत तो क्या सम्पूर्ण एशिया महादेश के विकास में अहम् भूमिका अदा कर सकता है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत रत्न की उपाधि यों ही नहीं प्राप्त हुई बल्कि वे बिहार का बेटा होते हुए भी मात्र बिहार का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत के विकास एवं समृद्धि के लिए हमेशा तत्पर रहे। यदि उनके द्वारा बताये गये रास्ते पर चलें और बिहार केशरी डॉ. श्रीकृष्णसिंह, अनग्रहनसिंह, डॉ. श्री रामानुग्रहसिंह, श्री जयप्रकाश नारायण, श्री कर्पूरी ठाकुर, जगजीवन राम, स्व. ल.ना. मिश्र आदि महापुरुषों के द्वारा बताये गए रास्ते पर चलें तो मात्र राजनैतिक संकअ ही नहीं बल्कि बहुत हद तक सामाजिक संकट भी दूर हो सकता है। जयप्रकाश नारयण को बिहार ही नहीं सम्पूर्ण भारत लोकनायक मानता है। अर्थात् भारत के विकास में इनकी अहम् भूमिका के कारण ही तो इन्हें लोकनायक कहा गया है। लोकनायक कहते ही हमें गोस्वामी तुलसीदास का स्मरण होने लगता है। तुलसीदास के व्यक्तित्व और कृतित्व की दृष्टि से जयप्रकाश अवश्य ही भिन्न थे किन्तु लोक जागरण की दृष्टि से बिहार का ही नहीं बल्कि हिन्दुस्तान का मसीहा बनकर दिखा दिया। रामधारीसिंह दिनकर ने तो उनके सम्बन्ध में लिखा है कि “स्वप्नों का द्रष्टा जयप्रकाश भारत का भाग्य विधाता है। इतना ही नहीं इन्होंने भारत के युवक एवं युवतियों को जागृत करने का भार ही सौंप दिया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी राजनैतिक एवं सामाजिक चेतना से उत्प्रेरित करने वाला बिहार राज्य का चम्पारण जिला ही है। श्री रामचन्द्र शुक्ल के किसान आन्दोलन से प्रेरित होकर उसमें भाग लेना और भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में अपनी अहम् भूमिका अदा करना बिहार की ही देन है। अतः राष्ट्रकवि को ही नहीं बल्कि यह धरती राष्ट्रपिता को भी प्रेरित करने वाली धरती है। राष्ट्रकवि दिनकर की रचना संस्कृति के चार अध्याय, अर्द्ध नारेश्वर, हमारी संस्कृति, स्मृति एवं श्रद्धांजलियां, हुंकार, सामधेनु, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथि, हारे को हरिनाम, परशुराम की प्रतिज्ञा, द्वन्द्वगीत, आदि भारत की स्वतंत्रता आन्दोलन तक ही सीमित नहीं बल्कि आज भी भारत के विकास एवं समृद्धि की ओर संकेत कर रहा है। यदि इन रचनाओं का अध्ययन किया जाए तो बिहारवासियों का कल्याण तो होगा ही, सम्पूर्ण भारत का कायापलट भी हो सकता है। दिनकर की रचना दिल्ली और मास्को एवं हिमालय भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। 160
SR No.009501
Book TitleGyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, & Philosophy
File Size1 MB
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