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________________ कहा जाता है कि प्राचीन मिथिला देश ही आधुनिक बिहार राज्य है। कुछ विद्वानों का मानना है कि बौद्ध विहार से ही बिहार शब्द बना है। विहार शब्द का अर्थ भौतिक और आध्यात्मिक सुख-समृद्धि या आनन्द है। बौद्ध विहार मात्र बिहार, बंगाल एवं उड़िसा को ही नहीं प्रभावित किया बल्कि सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में बांध दिया। सम्राट अशोक को कौन नहीं जानता। सम्राट अशोक का भारत वर्तमान भारत से निश्चित रूप में बड़ा था। इस दृष्टि से आज हम खण्डित भारत के ही नागरिक सिद्ध होते हैं। शायद इसीलिए संवेदनशील भारतीय, अखण्ड भारत की कामना आज भी करते हैं। इसी अखण्ड भारत ने विश्व में बहार लाने का काम किया है। चूंकि बुद्ध और जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर बिहार के थे। इन्होंने अपने मत का प्रचार-प्रसार भारत के अतिरिक्त अन्य देशों में भी किया और विदेशों में इनके शिष्यों की कतार लग गई। इसीलिए भारत को दुनिया का गुरु माना जाता है। इनके अनुयायियों के द्वारा प्रचार एवं प्रसार कार्य अभी भी चल ही रहा है। खासकर बौद्ध धर्मावलम्बियों की संख्या भारत से कहीं अधिक विदेशों में है। चीन, वर्मा, भूटान, थाईलैण्ड, नेपाल, तिब्बत, श्रीलंका आदि देशों में इसका प्रमाण अभी भी मिलता है। कुछ देशों में बौद्ध धर्मावलम्बियों का वर्चस्व अभी भी दृष्टिगोचर हो रहा है। कभी यह राजधर्म के रूप में भी स्वीकृत था। इसके अन्यत्र अफगानिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस आदि देशों में भी इसका प्रभाव देखा जा सकता है। अतः इन्हें संसार का गुरु मानना अयुक्तिसंगत नहीं है। हमारे हिन्दू ग्रंथों में दशावतार का वर्णन मिलता है। बुद्ध उन अवतारियों में से एक हैं। शायद इसीलिए इन्हें भगवान बुद्ध नाम से स्मरण किया जाता है। जयदेव ने गीतगोविन्द में इस तथ्य को और अधिक स्पष्ट रूप में उजागर किया है। डॉ. राधाकृष्णन् आदि विद्वानों ने भी हिन्दू धर्मावलम्बियों में ही इनकी गिनती की है। डॉ. राधाकृष्णन् की दृष्टि में हिन्दू धर्म के अन्तर्गत जो खामियं आई थीं, बुद्ध ने उसे दूर किया है। यानी बुद्ध हिन्दू धर्म सुधारकों में से एक थे। इस दृष्टि से बिहार का पैदाईश बुद्ध संसार का गुरु सिद्ध हो जाते हैं और उनको पैदा करने वाली मां स्वरूपा बिहार प्रदेश विश्व की गुरु मां साबित होती है। इस दृष्टि से बिहार को विश्व के मानवों को मदद पहुंचाना गुरुऋण से मुक्ति पाना है। इसके अतिरिक्त याज्ञवल्क्य ऋषि, राजा जनक और मां सीता की नगरी होने के नाते यह प्रदेश मुक्त पुरुषों अथवा विदेह की अवधारणा को लेकर आज भी विश्व के लिए प्रेरणादायक बना हुआ है। यदि आज का मानव जनक और अष्टावक्र संवाद की जानकारी हासिल कर लें तो विश्व की तमाम समस्याओं का समाधान स्वयं हो जायेगा। यदि मां सीता के चरित्र एवं कृति का ध्यान करें तो भी अधिकांश समस्याओं का समाधान संभव है। लव-कुश के व्यक्तित्व एवं कृतित्व में माताश्री का ही व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रदर्शित हुआ है और वह आज भी विश्व के लिए प्रेरणादायक है। मैत्रेयी एवं काव्यायनी जो याज्ञवल्क्य की धर्मपत्नी थी, विश्व के लिए आज भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है। बुद्ध की 158
SR No.009501
Book TitleGyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, & Philosophy
File Size1 MB
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