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________________ हरशैल (Herschel) ने अपनी पुस्तक "Preliminary Discourse on the study of Natural Philosophy" नामक ग्रन्थ में दार्शनिक विचार के नौ नियमों की विवेचना करने के संदर्भ में उपर्युक्त प्रायोगिक विधियों की ओर संकेत किया है। बेकन (1561-1626 ई.) ने भी टेबुल ऑफ प्रेजेंस, टेबुल ऑफ अवसेंस एवं टेबुल ऑफ डिग्रिज में अन्वय-विधि, सहगामी-विचरण और व्यतिरेक विधि का वर्णन अपने ढंग से किया है। इन पाँचों में दो ही (अन्वय विधि और व्यतिरेक विधि) मौलिक है और शेष गौण विधि माने गये हैं। जटिल घटनाओं की व्याख्या के लिए निराकरण की पाँच विधियों का आश्रय लिया जाता रहा है। अन्वय विधि मिल का कहना है कि “यदि किसी घटना के दो या अधिक उदाहरणों में केवल एक अवस्था उभयनिष्ठ हो तो वह अवस्था, जिसमें सब उदाहरण अनुकूल हों, दी हुई घटना का कारण (या कार्य) होगी।" और इसी को अन्वय-विधि का सिद्धान्त कहा जाता है। इसमें कारण से कार्य और कार्य से कारण की ओर प्रस्थान किया जाता है जैसे ABC पूर्ववर्ती है और abc अनुवर्ती है। प्रथम घटना में ADE को देखते हैं और उसके पश्चात् ade को पाते हैं। इस अवस्था में हमें यह संकेत मिल जाता है कि पहले आने वाली अवस्था में कौन कारण नहीं है। ADE-ade जो दूसरी अवस्था है, यहाँ 'B' और 'C' नहीं आये हैं, लेकिन 'a' आया है। हमें गतअनुभव है कि अपरिवर्तनीय पूर्ववर्ती अवस्था ही कारण होती है। इससे हमें यह संकेत मिलता है कि किसी की अनुपस्थिति में यदि घटना हो जाए तो वह, जो अनुपस्थित है, घटना का कारण नहीं हो सकता है। उपर्युक्त उदाहरण में 'a' वर्तमान है, किन्तु 'B' और 'C' नहीं आया है। अब हमें यह भी पता है कि कार्य और कारण साथ चलते हैं। इसलिये हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि ' का कारण न 'B' है और न ही ये'' के सम्बन्ध में अनावश्यक है, अतः इनका निराकरण कर दिया जाता है। 'A' को ही हम सभी स्थितियों में पाते हैं। 'A' के आने पर ही 'a' आता है। 'D' और 'E' को 'a' का कारण नहीं कह सकते हैं। चूंकि वे तीसरी स्थिति में वर्तमान नहीं है। DE सिर्फ द्वितीय अवस्था में ही वर्तमान हैं। अतः DE को भी अनावश्यक समझ कर हटा दिया जाता है। केवल 'a' ही हमेशा आता है। इसी तरह की अन्य अवस्थाओं में भी हम 'A' के साथ को बराबर आते देखते हैं। इसलिये 'A' को 'a' का कारण बतलाया है। इसीलिए मिल ने स्वयं अन्वय विधि की परिभाषा देते हुए कहा है कि "If two or more instances of the phenomenon under investigation have only one circumstance in common the circumstance in which all the instances agree is the cause or the effect of the given phenomenon."19 अर्थात् यदि किसी जांच की जाने वाली घटना के दो या उससे अधिक उदाहरणों में उस घटना के अतिरिक्त एक 129
SR No.009501
Book TitleGyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages173
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Metaphysics, & Philosophy
File Size1 MB
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