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________________ " . व्रतोद्यापन . [१.२९ शुद्ध त्याग जिनसूत्र सुपाठक | .......... शुद्ध त्याग जिनसमय प्रकाशक ।। ६॥ ___घत्ता। .. ... गृहपति पदत्याग, गतमुनिभागी, कृत वैराग्य, सुपरमपदं । श्रीअभयनंदी गुरु समता भाजन, सुमतिसागर जिनुधर्मपदं ॥७॥ ॐ हीं उत्तमत्यागधर्माय महार्घ निर्वपामीति स्वाहा । अथ नवम आकिंचनांग पूजा। आकिंचनं ममतादिदूरं कृत्स्नसुखाकरं ।। पूजया परया भक्त्या पूजयामि तदाप्तये ॥ ॐ हीं आकिंचनधर्म अत्र अवतर अवतर संवौषट् (आह्वाननं) अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः ( स्थापनं ) अत्र मम सन्निहितो भवभव वषट् ( सन्निधापनं)। चिपचिंतनपरं ममभावविवर्जितं । . .: आकिंचन्य परं लोके यजे साधु सुपूजनैः ॥१॥ • — ॐ हीं ममताभावविवर्जितआकिंचन्यांगाय जलादिकं ॥१॥ पर वैराग्यमावशं परसाखण्डवर्जित। ... सामायिकरतं नित्यं संयनामि सुगृहातिगं ॥ २॥ ॐ हीं वैराग्यपरताकिंचन्यांगायं जलादिक ॥२॥ अनित्यभवनागार-भामामोहविदरगा । एकत्वभावमालीन सौख्यदं तय मुदा ॥३॥
SR No.009498
Book TitleDash Lakshan Dharm athwa Dash Dharm Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, M000, & M005
File Size6 MB
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