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________________ ONAKAMANAwrv.................... von.........May १०६] श्रीदशलक्षण धर्म । क्षमा करे माया गुणफलहर, क्षमा लौभवैरी विषविपहर । क्षमा ऋद्धिदाता मुनि जसकर, क्षमावीजकरि भव्य सुभवपर ।।५।। क्षमा मोक्ष रानी सुसहेली, क्षमा सिद्ध नर-सती महेली। क्षमा कर्मनर भक्षण देवी, क्षमा सुमुनिवर चरण सुसेवी ॥६॥ क्षमा क्रियाणक देश विशाले, क्षमा क्रियाणक हृदमाले । श्री जिण गणधर नर मुनिवर, विक्रय कर इसु लेइ भव्यचर ॥७॥ घत्ता। क्षमाधर्म जिनपुत्र धुरंधर, मोक्षनगर व्यापार करे । श्रीअभयनंदि जिनक्षमा मनोहर सुमतिसागर जिनधर्म धरे ॥८॥ ॐ हीं उत्तमक्षमाय महाध । ॥ इति प्रथम क्षमांगपूजा ॥ अथ द्वितीय मार्दवांग पूजा। त्यक्तमानं सुखागारं मार्दवं क्रिययान्वितं । पूजया परया भक्त्या आह्वानादि विधानतः ॥ १॥ . ॐ हीं मार्दवांग अत्र अवतर अवतर संवौषट् (आह्वानन) अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः (स्थापन) अत्र मम सन्निहितो भवभववषट् स्वाहा । पापगर्वप्रहंतारं रागद्वेपविनाशकं । .. मार्दवगुणसंयुक्तं पूजयामि गुणोत्करं ॥१॥ ... . ॐ हीं मार्दवांगाय जलादिकं० ॥ १॥ . जातिगर्व प्रहंतारं दुखदं सौख्यदूरगं । . 1. गर्वनाशकरं साधु पूजयामि जलादिकैः ॥ २ ॥ .
SR No.009498
Book TitleDash Lakshan Dharm athwa Dash Dharm Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, M000, & M005
File Size6 MB
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