SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 90
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - २७ बाल का सकर्मवीर्य और पण्डित का अकर्मवीर्य इनका प्रतिपादन। ३६ ऋजु और सत्य धर्म का कथन । - ८) वीरिय (वीर्य) ९) धम्म (धर्म) १०) समाही (समाधि) - ११) मग्ग (मार्ग) - १२) समोसरण (समवसरण) २४ समाधि का अर्थ है समाधान, तुष्टि, अविरोध । द्रव्य, क्षेत्र, काल तथा भाव की दृष्टि से प्रसन्नता तथा समाधान का वर्णन । ३८ श्रेष्ठ मार्ग की गवेषणा तथा अहिंसा एवं समता का श्रेष्ठत्व । एषणा विषयक पापपुण्य विचार एवं सुध्यान । २२ क्रिया-अक्रिया आदि चार वाद तथा कुछ अवांतर मान्यताओं की समालोचना तथा यथार्थ निश्चय। २३ साधु के लिए यथार्थ धर्म तथा असाधु के लिए अयथार्थ धर्म का प्रतिपादन । २७ गथं विहाय'पद से आरंभ तथा ब्रह्मचर्य याने गुरुकुलवास का समग्र वर्णन । - १३) आहत्तहीय (याथातथ्य) १४) गंथ (ग्रन्थ)
SR No.009489
Book TitleArddhmagadhi Aagama che Vividh Aayam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNalini Joshi
PublisherFirodaya Prakashan
Publication Year2014
Total Pages240
LanguageMarathi
ClassificationBook_Other
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy