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________________ ८८ श्री नवकार महामंत्र - कल्प ध्याता पुरुषकी योग्यता ध्यान करने की इच्छा रखनेवालोंको निजकी योग्यता बढाकर ध्याता ध्येय और ध्यानको अच्छी तरहसे समझ लेना चाहिए | क्योंकि इन भेदोंके समझे बिना कार्य सिद्ध नही हो सकेगा । अतः करनेवालोंमें किस तरहके गुण होना चाहिए जिसका संक्षेपसे वर्णन करेंगे। ध्यानी मनुष्य धैर्यता रखने वाला हो, शांत स्वभावी, सम परिणामी, और अत्यन्त संकट आजाने पर भी ध्यानको नही छोडे इस प्रकार अटल श्रद्धावाला होना चाहिए और सबकी तरफ समान भावसे देखनेवाला शीतताप आदिमें असह्य कष्टसे घबराता न हो और निजके स्वरूपसे भ्रष्ट न हो, क्रोध, मान, माया, लोभ आदिका त्याग करनेवाला, रागादिसे मुक्त, कामवासनासे विरांम् पाया हुवा, निजके शरीर पर मोह उत्पन्न न हों इस तरहकी भावनासे संवेगरुपी द्रहमें मग्न होकर सर्वदा समताका आश्रय लेनेवाला, मेरुपर्वतकी तरह निष्कम्प, चन्द्रमाके
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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