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________________ श्री नवकार महामन कल्प ७५ ॥ शत्रुभयहर मन ॥ ॐ ह्री श्री अमुक दुष्ट साधय साधय अ. सि. आ. उ. सा. नमः ||६०|| इस मत्रकी इक्रीस दिन तक मातःकालमें माला फेरे और उत्तर क्रियाके बाद जब काम हो उस समय अमुक सख्यामें जाप करे तो धनुका भय नष्ट होता है, आपचि व क्लेशका नाश होता है। ॥ रोग, क्षय मंत्र ॥ ॐ नमो सयोसहिपत्ताण, ॐ नमो खेलोसहिपत्ताण, ॐ नमो जल्लोसहिपत्ताण, ॐ नमो सव्वोसहिपत्ताण स्वाहा ॥ ६१ ॥ इस मंत्र के जाप से रोग पीडा मिटती है, न्याधि दिन दिन कम होगी एक माला सबेरेही फेरना चाहिए। ॥ व्रणहर मंत्र ॥ ॐ नमो जिगाण जावयाण पुमोणि भ एणि सनवायेण वगमापच उमाष उमाफुट् ॐ ॐ ठः ठः स्वाहा ॥६२॥
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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