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________________ श्री नवकार महामंत्र कल्प ज्झायाणं है एहि पहि भगवति वज्रकवचे वज्रपाणि रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा । ॐ णमो लोए सव्वसाहूणं हः । क्षिप्रं साधय साधय वज्रहस्ते शलिनि दुष्टान् रक्ष रक्ष हँ फट् स्वाहा । एसो पञ्चनमुक्कारो वज्रशिलाप्राकारः । सव्वपावप्पणासणो वप्रोवज्रमयो मङ्गलाणं च सव्वेसिं खादिरांगारमयीखातिका । पढमं हवइ मङ्गलम् वप्रोपरिवज्रमय पिधानं ॥१८॥ ५४ उपरोक्त मंत्र चमत्कारी है इसमें सकलीकरण भी आ गया है, इसके प्रभावसे शांतिका साम्राज्य होगा और तमाम तरह के विघ्न नष्ट होंगे ऋद्धि सिद्धिदाता और मङ्गलिक मंत्र है | ॥ वशीकरण मंत्र (१) ॥ ॐ ह्रीं नमो अरिहन्ताणं, ॐ ही नमो सिद्धाणं, ॐ ही नमो आयरियाणं, ॐ ही नमो उवज्झायाणं, ॐ ह्री नमो लोए सव्वसाहूणं, ॐ ह्रीं नमो णाणस्स ॐ ह्रीं नमो दंसणस्स; अमुकं मम वशी कुरुकुरु स्वाहा ॥१९॥ A
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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