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________________ आसन प्रकरण कर ध्यान करता रहे यह तरकीय उत्तम है हरएक जगह जहा आलम्पन भी न हो और ध्यान करनेका दिल हो जाय तो स्थिरता रखनेमे यह आवर्त काम आ सकता है, जिसका चित्र भी पाठकोके समझने के लिए साथ ही दिया है सो देख लेवें। ___इस तरहसे आपतका बयान पूरा हो गया अब सिर्फ कमलायका बयान बाकी है सो ठीक तरह समझने पर पाठकाके सामने रखेंगे। आसन प्रकरण आसन शुद्ध करना और अनुकुल आसनमें जय प्राप्त करना ध्यान सारने में सहायक होता है।आसन जम जाने से शरीर भी उपाधि रहित रहता है और शारीरिक स्थिर आजानेसे मन भी स्थिर हो जाना सम्भव | आसन जमाने के लिए एकान्त स्थान हो जहा किसी प्रकारकी चिन्ता भय माप्त होनेकी सम्भावना न हो अनुकुल सयोग और समाधि सहित ध्यान हो सके ऐसे स्थानको पसन्द करना चाहिए। जिसमे भी तीर्थस्थान-जिनेश्वर भगवानकी कल्याणक भूमि हो तो विशेष आनन्ददायक होगा।
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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