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________________ ३६ श्री नवकार महामंत्र - कल्प मिका के मध्यका, सातवां मध्यमाके मध्यका, आठवां तर्जनी के मध्यका, नौवां तर्जनीके नीचेका, दशवां मध्यमा के नीचेका ग्यारहवां अनामिकाके नीचेका, और बारहवां कनिष्टाके नीचेका इस तरह नौ दफा गिनलेने से एक माला पूरी हो जाती है, यह ह्रीवर्त्त वरावर ध्यानमें नही आता है तथापि जैसा पाया है वैसाही पाठकोंके सामने रखते हैं, और साथ ही इसका चित्र भी दिया गया है सो देख लेवें । sa एक दूसरी तरकीबसे भी गिनते हैं सो इस तरह है कि उपर मुवाफिक वारह गिन लेने वाद मध्यमाके मध्यका तेरहवां, चौदहवां अनामिकाका मध्य, पन्द्रहवां कनिष्ठाका मध्य, सोलहवां कनिष्ठाके नीचेका, सत्तरहवां अनामिका के नीचे, अट्ठारहवां मध्यमाके उपर, उन्नीसवां तर्जनीके उपर, बीसवां तर्जनीका मध्य, इक्कीसवां तर्जनीके नीचे, वाइसवां मध्यमा के नीचे, तेइसवां अनामिकाके नीचे, चोइसचां कनिष्ठाके नीचे । इस तरह चोबीस तीर्थङ्करोंकी स्थापना वर्णवार हीमे है उस पद्धती से उगलियोंपर चोबीसजिनका जाप इस प्रकार कर सकते हैं, यह आ
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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