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________________ दूसरा स्वर्ण प्रकरण दूसरा ॐवर्त प्रकरण उपर ववाए हुवे ॐवनकी दूसरी तरकीर इस तरह पर है कि, प्रथम शुरुआत अनामिाके मध्यसे करे, दूसरा मध्यमाका मभ्य, तीसरा मध्यमाके नीचेका, चोथा अनामिकाके नीचेा, पाचमा कनिष्टाके नीचेका, छटा पनिष्टाके मध्यका, सातवा कनिष्टाके उपरका, आठवा अनामिकाके उपरका, नौवा मध्यमाके उपरका, दशवा तर्जनीके उपरका, ग्यारहवा वजनीके मध्यका और पारवा तर्जनीके नीचेश, इस तरहसे नी वार जाप करनेसे माला पुरी होती है और ॐवन धनता है। इसमें भी प्रति जापके साथही उगलियो पर ॐ का आलेखन होता जाता है और यहभी कहत आदरणीय है जिसका चित्रमी दिया जाता है सो देख लें और जितना लाभ उठा समें उठाइएगा। ___ एक तीसरी तरकीर ॐ वर्तकी और भी हैं लेफिन यह दक्षिणावर्त नही होनेसे जाप करनेमें कम लेते है क्यापि जानकारीके लिए यहा लिखते हैं।
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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