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________________ २४ श्री नवकार महामंत्र - कल्प तो अट्ठारा आए बस एक और आठ-नौ वही शेपाङ्क अक्षयरूप नौ रह गया । इस तरहसे चाहे कितनी ही गिनती के अङ्क रख उपरोक्त कथनानुसार गणित करते जाइए शेषाङ्क नौ रह जायगा. इस तरह नौ के अकी महिमा बताई जिससे सिद्ध हो जाता है कि नवाङ्क अक्षय रूप है कभी खण्डित नहीं होता। जबके Tags इतनी महिमा है और अक्षयताका भण्डार है तो सार रूप नवकार, नवपदमें अक्षयताका समावेश कितने दरजे है सो मेरे जैसा क्षुद्रात्मा क्या बता सकता है । इनकी तो अपरम्पार महिमा शास्त्रोंमें प्रतिपादित है, जिसको चवदापूर्वकासार बताया गया उसके चमत्कारका कोन पार पा सकता है। ऐसे महामंत्र का स्मरण करनेवाला दरिद्री नही रह सकता लेकिन श्रद्धा, संतोष, एकाग्रता, शुद्धोच्चार और विधि विधान सहित स्मरण हो तो अवश्यमेव फलदाई 'होता है | अतः इच्छावान पुरुषको चाहिए कि श्री नवकारमहामंत्र कल्पमें अलग अलग कार्यकी सिद्धि लिए जो विधि विधान बताये गये हैं तदनुसार गुरु गम प्राप्त करके ध्यान स्मरण करेंगे तो अवश्य फल दाई होगा |
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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